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मुख्य द्वार पर गणेश जी की स्थापना पर शुभ योग


श्री गणेश जी की प्रतिमा  घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेशजी की कौन सी सूंड बायी या दायी होनी चाहिये।


भगवान गणेश जी की तस्वीरों या मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है।


 सीधी सूंड वाले गणेश भगवान दुर्लभ हैं।


 इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है।


भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप के भी कई भेद हैं। 


कुछ मुर्तियों में गणेशजी की सूंड को बाई ओर को घुमा हुआ दर्शाया जाता है तो कुछ में दाई ओर। 


गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की ओर सूंड वाली होती हैं। 


मान्यता है कि गणेश जी की मूर्त जब भी दक्षिण की ओर  मुड़ी हुई बनाई जाती है तो वह टूट जाती है। कहा जाता है कि यदि संयोगवश आपको दक्षिणावर्ती मूर्त मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभिष्ट फल मिलते हैं।


 गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं में सूर्य का प्रभाव माना गया है। 


प्राय: गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाओ से दिखती है। जब सूंड दाईं ओर घूमी होती है तो इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है। ऐसी प्रतिमा का पूजन विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है।

वहीं बाईं ओर मुड़ी सूंड वाली मूर्त को इड़ा नाड़ी व चंद्र प्रभावित माना गया है। ऐसी  मूर्त  की पूजा स्थायी कार्यों के लिए की जाती है। जैसे  शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य और पारिवारिक खुशहाली।


सीधी सूंड वाली मूर्त का सुषुम्रा स्वर माना जाता है और इनकी आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। 


संत समाज ऐसी मूर्त की ही आराधना करता है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं ओर सूंड वाली मूर्त है इसीलिए इस मंदिर की आस्था एवं श्रद्धा भकतो की रहती है।


 कुछ विद्वानों का मानना है कि दाई ओर घुमी सूंड के गणेशजी शुभ होते हैं तो कुछ का मानना है कि बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ फल प्रदान करते हैं।


 हालांकि कुछ विद्वान दोनों ही प्रकार की सूंड वाले गणेशजी का अलग-अलग महत्व बताते हैं।


यदि गणेशजी की स्थापना घर में करनी हो तो दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ होते हैं।


 दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं। ऎसी मान्यता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें तो वह कार्य सफल होता है व शुभ फल प्रदान करता है।इससे घर में पॉजीटिव एनर्जी रहती है व वास्तु दोषों का नाश होता है।


घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है। यहां बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी विघ्नविनाशक कहलाते हैं। इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है। घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रूक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती।

29 सितंबर से शनि होंगे मार्गी, बदलेंगी परिस्थितियां, आएगी अशुभ फलों में कमी


 पूरी सृष्टि में उथल-पुथल मचाकर रख दी। पूरी भारत के अपने पड़ोसी देश चीन से युद्ध जैसे हालत चल रहे हैं। इस दौरान लोगों को बड़े आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा, कई लोगों के बिजनेस ठप हो गए तो, कई लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। अब जब शनि पुनः अपनी ही राशि में मार्गी होने जा रहे हैं तो ऐसे में अशुभ प्रभावों में कमी आएगी, लोगों को रोगों से राहत मिलेगी, आर्थिक संकटों में कमी आएगी और बिजनेस भी रफ्तार पकड़ने लगेगा।


 वर्तमान में धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैया चल रहा है। मकर पर दूसरा और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। इसके अलावा तुला और मिथुन राशि पर लघु कल्याणी ढैया चल रहा है। शनि के गोचर, साढ़ेसाती और महादशा का हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर होता है। इसके प्रभाव से न सिर्फ मनुष्य बल्कि प्रकृति में भी बड़े बदलाव होते हैं। ये बदलाव शुभ और अशुभ दोनों हो सकते हैं। इसका फल राशि और कुंडली में शनि की चाल और स्थिति से तय होता है।


 22 जनवरी 2021 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शनि रहेंगे जो सूर्य का नक्षत्र है, सूर्य और शनि शत्रु हैं। इस दौरान कुछ नई समस्याएं उभर सकती हैं। सतर्क रहें। 22 जनवरी से श्रवण नक्षत्र में जाएगा, जो चंद्र का नक्षत्र है। शनि-चंद्र भी शत्रु है। 23 सितंबर से राहु और केतु भी राशि बदल रहे हैं। 23 से ही शनि-केतु का 3 और 11 का संबंध रहेगा, अर्थात् पराक्रम और लाभ का संबंध। वहीं 20 नवंबर से गुरु और शनि साथ में आ जाएंगे। 23 सितंबर से राहु की शनि पर दृष्टि रहेगी।

*गजकेशरी योग और ज्योतिष शास्त्र*


✍🏻गजकेसरी योग एक बहुत ही शुभ योग माना जाता है। यह प्रमुख धन योगों में से एक होता है जो गुरु और चंद्र के योग से बनता है डॉ अशोक श्रीश्रीमाल ने बताया कि जातक की कुंडली के किसी भी भाव में गुरु व चंद्रमा की युति हो और किसी पाप ग्रह की दृष्टि उन पर न पड़ रही हो या कोई पाप ग्रह उनके साथ न हो तो यह योग बहुत शुभफलदायी माना जाता है। गजकेसरी योग का निर्माण गुरु और चंद्रमा की युति से होता है। या फिर केंद्र में गुरु और चंद्रमा एक दूसरे को देख रहे हों तो भी गजकेसरी योग का निर्माण होता है। प्रबल या कहें प्रभावकारी गजकेसरी योग का निर्माण गुरु की चंद्रमा पर पांचवी या नवीं दृष्टि से भी बनता है। यदि गुरु और चंद्रमा कर्क राशि में एक साथ हों और कोई अशुभ ग्रह इन्हें न देख रहा हो तो ऐसे में यह बहुत ही सौभाग्यशाली गजकेसरी योग बनाते हैं। इसका कारण यह भी है कि गुरु को कर्क राशि में उच्च का माना जाता है और चंद्रमा कर्क राशि के स्वामी होने से स्वराशि के होते हैं। प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम स्थान को केंद्र माना जाता है यदि शुभ भाव में केंद्र में गजकेसरी योग बन रहा हो तो यह भी शुभ फल देने वाला होता है इसके अलावा त्रिकोण में पांचवे या नौंवे भाव में भी गजकेसरी योग शुभ होता है। यदि छठे, आठवें या द्वादश भाव में यह योग न हो और गुरु की राशि मीन या धनु अथवा शुक्र की राशि वृष में बन रहा हो तो लाभ देने वाला रहता है। छठे, आठवें या बारहवें भाव में यह योग बन रहा हो तो बहुत कम प्रभावी होता है। चंद्रमा या गुरु की नीच राशि में यह योग बन रहा हो तो उसमें भी इस योग से मिलने वाले परिणाम नहीं मिलता यानि यह निष्फल रहता है। यदि नीच दोष भंग हो रहा हो तो ऐसे में इस योग के शुभ फल देने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

29 सितंबर से शनि होंगे मार्गी, बदलेंगी परिस्थितियां, आएगी अशुभ फलों में कमी

 


न्यायाधिपति कहलाने वाले शनिदेव 29 सितंबर 2020, मंगलवार को प्रातः 10.44 बजे मकर राशि और शतभिषा नक्षत्र में मार्गी हो रहे हैं। शनि 11 मई 2020 सोमवार को प्रातः 9.40 बजे वक्री हुए थे। इन 142 दिनों के अपने वक्रत्व काल में शनि ने पूरी सृष्टि में उथल-पुथल मचाकर रख दी। पूरी दुनिया जहां कोरोना महामारी से पीडि़त होकर आज भी जूझ रही है, वहीं भारत के अपने पड़ोसी देश चीन से युद्ध जैसे हालत चल रहे हैं। इस दौरान लोगों को बड़े आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा, कई लोगों के बिजनेस ठप हो गए तो, कई लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। अब जब शनि पुनः अपनी ही राशि में मार्गी होने जा रहे हैं तो ऐसे में अशुभ प्रभावों में कमी आएगी, लोगों को रोगों से राहत मिलेगी, आर्थिक संकटों में कमी आएगी और बिजनेस भी रफ्तार पकड़ने लगेगा।

*बदलाव शुभ और अशुभ दोनों हो सकते हैं...*

*वर्तमान में धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम ढैया चल रहा है। मकर पर दूसरा और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। इसके अलावा तुला और मिथुन राशि पर लघु कल्याणी ढैया चल रहा है। शनि के गोचर, साढ़ेसाती और महादशा का हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर होता है। इसके प्रभाव से न सिर्फ मनुष्य बल्कि प्रकृति में भी बड़े बदलाव होते हैं। ये बदलाव शुभ और अशुभ दोनों हो सकते हैं। इसका फल राशि और कुंडली में शनि की चाल और स्थिति से तय होता है।* 


*आपकी राशि पर क्या होगा असर।*


*मेष:* मेष राशि के दशम भाव में शनि मार्गी होगा। पिछले 142 दिनों से बना हुआ आर्थिक संकट काफी हद तक दूर होगा। नौकरी में जो तनाव और उतार-चढ़ाव बना हुआ है वह कम होगा। रोगों से मुक्ति मिलने वाली है। सबसे बड़ी बात आपके आजीविका का संकट दूर होगा। स्थितियां अनुकूल होने लगेंगी। विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति प्राप्त होगी। विवाह का योग बनेगा। पारिवारिक जीवन में बना हुआ तनाव काफी हद तक आपकी सूझबूझ से कम होगा। आपके द्वारा पूर्व में लिए गए निर्णयों का शुभ परिणाम मिलने वाला है। हालांकि पूरी तरह राहत मिलने में आपको दो से ढाई माह का समय लग सकता है।



*वृषभ:* वृषभ राशि के नवम भाव में शनि मार्गी होने जा रहे हैं। यह भाग्य भाव है। यहां शनि के मार्गी होने से आपको भाग्य का साथ तो मिलेगा लेकिन गति धीमी रहेगी। पूर्व में किए गए शुभ कर्मों और दान का परिणाम अब मिलने वाला है। परिवार और दोस्तों के साथ संबंध अच्छे बनाकर रखें। अपनी वाणी में मधुरता लाएं। आपकी लव लाइफ भी मजबूत होगी। आपके रिश्ते अच्छे रहेंगे। परिवार में आपको महत्व मिलने वाला है। बिजनेस और नौकरी में लाभ मिलेगा। अपनी पसंद का काम मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। भविष्य के लिए आपने जो भी तैयारी कर रखी है, उसे और मजबूत कर लें। भाग्योदयकारी योग बनेंगे। आर्थिक रूकावटें खत्म होंगी। साझेदारी में किए गए बिजनेस से लाभ मिलना प्रारंभ हो जाएगा। पारिवारिक सहयोग अच्छा मिलेगा। प्रॉपर्टी, ऑटोमोबाइल से जुड़े बिजनेस में परिवर्तन से लाभ मिलने वाला है।



*मिथुन:* मिथुन राशि के जातकों के अष्टम भाव में शनि मार्गी होने वाला है। इस राशि के स्वामी शनि के मित्र हैं, इसलिए कुछ मामलों में राहत रहेगी, लेकिन कुछ मामलों में परेशानी उठानी पड़ सकती है। आपको सलाह दी जाती है कि कोई भी काम करें, पहले उसके लिए अच्छे से रिसर्च वर्क कर लें। बिना सोचे-समझे या बगैर भविष्य की योजना बनाए कोई भी काम शुरू कर देना नुकसान दे सकता है। आपकी राशि पर शनि की ढैया चल रही है। इसलिए काम पर फोकस करें। बेवजह के कार्यों में समय और धन खर्च ना करें। यदि आप स्मार्ट और हार्ड वर्क करेंगे तो प्रसिद्धि मिलने वाली है। विवाहितों को अपने मामले निपटाने के लिए प्रैक्टिकल होकर सोचना पड़ेगा। इस दौरान धन संबंधी परेशानी आ सकती है, इसलिए अपनी सेविंग्स बढ़ाएं। अपनी वाणी पर संयम रखें। वरना परिवार में मनमुटाव हो सकता है। जीवनसाथी का प्रेम पाना है तो उनके परिजनों को साथ लेकर चलना होग

*कर्क:* कर्क राशि के सप्तम भाव में शनि मार्गी हो रहा है। यहां से आपके पारिवारिक, निजी, दोस्तों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों से रिश्तों में सुधार की संभावना बनेगी। हालांकि अपने बिजनेस पार्टनर के साथ आपके वाद-विवाद बढ़ सकते हैं, लेकिन परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने के प्रयास आप करेंगे तो लाभ होगा। प्रेम संबंधों को विवाह में बदलने के लिए परिवार का सहयोग लेना पड़ेगा। युवाओं को अपने कॅरियर पर ध्यान देना है। यदि आप कोई बिजनेस करना चाहते हैं तो शनि से संबंधित काम में अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान आपका भाग्य मजबूत रहेगा। जॉब बदलने के लिए समय ठीक है। कार्यों को आगे टालने की प्रवृत्ति छोड़ना होगी। नए रिश्ते संबंध बनेंगे। अचानक कहीं यात्राएं करना पड़ सकती है। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे, लेकिन इसमें परिवारजनो के अनुभव का लाभ जरूर लें।



*सिंह:* सिंह राशि के जातकों के लिए शनि छठे भाव में मार्गी होने जा रहा है। यह भाव रोग, शत्रु और कर्ज का स्थान है। आप लंबे समय से अगर रोगों से जूझ रहे हैं तो आपको उसमें राहत मिलने वाली है। कर्ज से परेशान हैं तो ध्यान रखिए कर्ज पूरी तरह समाप्त हो नहीं होगा, लेकिन आय के नए स्रोत मिलने से सेविंग बढ़ेगी। इस दौरान शत्रु आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे, हालांकि वे कोशिश बहुत करेंगे। कॅरियर, जॉब, बिजनेस में चुनौतियां बहुत आएंगी लेकिन आप आत्मविश्वास के साथ हार्ड वर्क करेंगे तो सारी चुनौतियों से पार पा जाएंगे। आपको आय के नए स्रोत तलाशने होंगे। सामाजिक और पारिवारिक जीवन में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। अपनी सफलता से दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश ना करें। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में तालमेल बनाकर चलना होगा।



*कन्या:* आपके लिए शनि पांचवें घर में मार्गी होंगे। यहां संतान और शिक्षा का भाव है। शिक्षा के लिहाज से अब समय अनुकूल आ रहा है। वक्री शनि के कारण शिक्षा के क्षेत्र पर बुरा असर देखने को पड़ा। बच्चों से लेकर कॉलेज और प्रोफेशनल एक्जाम तक इस दौरान प्रभावित हुई, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थितियां सुधार की तरफ बढ़ रही है। पारिवारिक जीवन में अपनी संतानों के मन में चलकर बातों को समझना होगा। उनसे दोस्त बनकर व्यवहार करें। किसी भी प्रकार की तनावपूर्ण बातें उनके साथ आपके संबंध बिगाड़ सकती है। लव पार्टनर के साथ आपके रिश्तों में सुधार आएगा। इस समय में आपको पुराने निवेश से लाभ मिलने वाला है। यदि कोई नया बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो शनि से संबंधित कार्य आपको लाभ दे सकते हैं।



*तुला:* आपकी राशि पर पहले से शनि का लघु कल्याणी ढैया चल रहा है और शनि आपके चतुर्थ स्थान में मार्गी होने जा रहा है। यह सुख स्थान है। इसलिए संभव है आपके सुखों में वृद्धि करे। शनि के वक्री होने के समय से आपको जिन आर्थिक, पारिवारिक और सामाजिक संकटों का सामना करना पड़ा, गंभीर रोगों से परेशान रहे, उनमें अब आपको राहत मिलने वाली है, लेकिन ध्यान रखें, अभी एकदम से सबकुछ ठीक नही होने वाला, आपको धैर्य रखना होगा। सतर्कता और सावधानी रखना होगी। अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए आपने अभी तक जो भी प्रयास किए और उनमें लाभ नहीं मिला तो अब 29 सितंबर के बाद से आपको उसका शुभ फल मिलने वाला है, लेकिन आपको कार्य में कुछ बदलाव लाना होगा। मार्केट के हिसाब से रिसर्च करके अपने काम में बदलाव करेंगे तो लाभ मिलेगा। जॉब में बदलाव संभव है।



*वृश्चिक:* आपके लिए शनि तृतीय स्थान में मार्गी होने जा रहा है। पराक्रम, भाई-बहन के घर में मार्गी रहेंगे। इस दौरान आपका आत्मविश्वास मजबूत रहेगा। भाई-बहनों से संबंध अच्छे रहेंगे। प्रेम संबंधों में टकराहट आ सकती है, इससे बचने के लिए अपने पार्टनर पर किसी प्रकार का शक करने से बचें। परिवार पर उनकी जरूरतों पर ध्यान दें। प्रोफेशनली आपको एक्टिव रहना होगा। कार्यों में आलस्य करना मुश्किलों में डाल देगा। कार्य और जॉब में परिवर्तन की संभावनाएं हैं। ऐसे लोगों से दूर रहें जो हर वक्त आपका हौसला पस्त करने की कोशिश करते हों। यदि बिजनेस को करने के लिए यदि आप कर्ज लेने जा रहे हैं तो अपनी सीमाओं का ध्यान रखते हुए ही कर्ज लें। सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा।



*धनु:* शनि आपके धन स्थान में मार्गी होने वाले हैं। माता-पिता और परिवार के बुजुर्गों के सहयोग से प्रॉपर्टी के मसले हल होंगे। परिवार के साथ रिश्तों में सुधार का लाभ अनेक जगहों पर आपको मिलने वाला है। शनि के वक्री होने के समय से चल रहा आर्थिक संकट अब दूर होने वाला है। धन आगमन के नए मार्ग खुलेंगे। अचानक कहीं से बड़ी धन राशि प्राप्त हो सकती है। भाग्य का साथ मिलने से असंभव कार्यों को भी संभव कर पाएंगे, लेकिन अपनी वाणी में अहंकार और कटुता बिलकुल ना लाएं। चाहे आप कितने भी बड़े और अमीर हों, अपने से छोटों को सदा साथ लेकर चलना होगा। जीवनसाथी के साथ आपका तालमेल बेहतर होगा। प्रेम संबंधों को कोई नाम मिल जाएगा। नौकरीपेशा लोगों को जॉब में बदलाव होगा। शत्रुओं की साजिश से बचकर रहें।



*मकर:* शनि इसी राशि में मार्गी हो रहा है और इसी राशि का स्वामी भी है। यहां शनि के मार्गी होने से शश नामक राजयोग बन रहा है, जो आपके लिए विशेष लाभदायी होने वाला है। यदि आप शनि से जुड़े कार्यों में लगे हैं तो लाभ मिलेगा। आपके संपर्कों में वृद्धि होगी, जिसका लाभ आपको बिजनेस में मिलेगा। सेहत में थोड़ी गिरावट आ सकती है। अस्वस्थ लोगों से दूर रहें। उन्नति के दरवाजे आपके लिए खुलने वाले हैं। लंबे समय से अटकी हुई इच्छा पूरी होने वाली है। विवाहित जीवन सुखी होगा। प्रेम में लाभ, लव और बिजनेस पार्टनरशिप को बेहतर करने का मौका मिलेगा। मतभेद-मनभेद आएंगे लेकिन उनसे दूर रहें। नकारात्मक विचारधारा वाले लोगों से दूर रहें। अपनी वाणी के कारण लाभ कमाएंगे। आय के नए स्रोत मिलने वाले हैं। नए बिजनेस जॉब मिलने वाला है। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। खुद को कमजोर न समझें अपनी काबिलियत को पहचानें और आत्मविश्वास से आगे बढ़े।



*कुंभ:* कुंभ राशि के लिए शनि द्वादश भाव में मार्गी हो रहा है। यह भाव खर्च का भाव है। इसलिए आपको अपने खर्चों को रोकना होगा। बेवजह के व्यय करेंगे तो भविष्य के लिए कुछ बचाना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि आय के स्रोत बढ़ेंगे। अपने वर्कप्लेस में अधिक अच्छे मौके मिलेंगे। अपने सपनों को साकार करने का मौका मिलेगा लेकिन उसमें आपको भरोसेमंद लोगों का साथ लेना पड़ेगा। जो भी बिजनेस आप कर रहे हैं, उसमें कुछ लाभ मिलेगा, लेकिन कार्य में बदलाव लाना होगा। पैतृक संपत्ति के विवादों का निपटरा होगा। पारिवारिक माहौल अच्छा रहेगा। धर्म-कर्म के कार्यों में मन लगेगा। वाहन दुर्घटना की स्थिति रहेगी इसलिए वाहन चलाते समय सावधानी रखें। विद्यार्थियों के लिए समय उत्तम है। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।



*मीन:* मीन राशि के लिए आय स्थान यानी ग्यारहवें भाव में मार्गी होने जा रहे हैं। आर्थिक संकट दूर होगा। खर्च अधिक होने के बावजूद आय अच्छी रहने से लाभपूर्ण स्थिति में रहेंगे। कर्ज लेने से बचें। परिवर्तन करना चाहते हैं तो उसे कर डालिए। अपने बिजनेस और जॉब में धैर्य रखते हुए आगे बढ़े, लाभ की स्थितियां बनती जा रही है। इसके लिए आपको लगातार प्रयास करते रहना होगा। कार्यों को टालने की आदत छोड़ दें। जॉब में वेतन वृद्धि, प्रमोशन मिलेगा, अपने काम पर फोकस करें। वाहन चलाते समय सावधानी रखें। किसी भी काम में जल्दबाजी ना करें। अपनी वाणी को कटु न होने दें। प्रेम संबंधों में तल्खी आएगी, लेकिन शांत रहें। क्रोध न करें। सब अपने आप ठीक हो जाएगा।

सूर्य ग्रह से संबंधित जानकारी समस्या और उपाय

 

ज्योतिष में सूर्य को राजा की पदवी प्रदान की गयी है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य आत्मा एवं पिता का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य द्वारा ही सभी ग्रहों को प्रकाश प्राप्त होता है और ग्रहों की इनसे दूरी या नजदीकी उन्हें अस्त भी कर देती है। सूर्य सृष्टि को चलाने वाले प्रत्यक्ष देवता का रूप हैं। कुंडली में सूर्य को पूर्वजों का प्रतिनिधि भी माना जाता है। सूर्य पर किसी भी कुंडली में एक या एक से अधिक बुरे ग्रहों का प्रभाव होने पर उस कुंडली में पितृ दोष का निर्माण हो जाता है। व्यक्ति की आजीविका में सूर्य सरकारी पद का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य प्रधान जातक कार्यक्षेत्र में कठोर अनुशासन अधिकारी, उच्च पद पर आसीन अधिकारी, प्रशासक, समय के साथ उन्नति करने वाला, निर्माता, कार्यो का निरीक्षण करने वाला बनता है. बारह राशियों में से सूर्य मेष, सिंह तथा धनु में स्थित होकर विशेष रूप से बलवान होता है तथा मेष राशि में सूर्य को उच्च का माना जाता है। मेष राशि के अतिरिक्त सूर्य सिंह राशि में स्थित होकर भी बली होते हैं। यदि जातक की कुंडली में सूर्य बलवान तथा किसी भी बुरे ग्रह के प्रभाव से रहित है तो जातक को जीवन में बहुत कुछ प्राप्त होता है और स्वास्थ्य उत्तम होता है। सूर्य बलवान होने से जातक शारीरिक तौर पर बहुत चुस्त-दुरुस्त होता है।


कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य

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कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य शुभ फल देने वाला होता है. सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है।  पहला घर सूर्य का ही होता है, इसलिए सूर्य का इस घर में होना अत्यंत शुभ फलदायक होता है। ऐसा जातक धार्मिक इमारतों या भवनों का निर्माण और सार्वजनिक उपयोग के लिए कुओं की खुदाई करवाता है। उसकी आजीविका का स्थाई स्रोत अधिकांशत: सरकारी होगा। ईमानदारी से कमाये गये धन में बृद्धि होगी। जातक अपनी आंखों देखी बातों पर ही विश्वास करेगा, कान से सुनी गयी बातों पर नहीं। यदि सूर्य अशुभ है तो जातक के पिता की मृत्यु बचपन में ही हो जाती है। पहले भाव का अशुभ सूर्य और पांचवें भाव का मंगल एक-एक कर संतान की मृत्यु का कारण होता है।


उपाय :

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1. जातक को 24 वर्ष से पहले ही शादी कर लेंनी चाहिए।


2. दिन के समय संबंध न बनाएं, इससे पत्नी बीमार रहेगी और मृत्यु भी हो सकती है।


3. अपने पैतृक घर में पानी के लिए एक हैंडपंप लगवाएं।


4. अपने घर के अंत में बाईं ओर एक छोटे और अंधेरे कमरे का निर्माण कराएं।


5. पति या पत्नी दोनों में से किसी एक को गुड़ खाना बंद कर देना चाहिए।


कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य

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कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य यदि शुभ है तो जातक आत्मनिर्भर होगा, शिल्पकला में कुशल और माता-पिता, मामा, बहनों, बेटियो तथा ससुराल वालों का सहयोग करने वाला होगा। यदि चंद्रमा छठवें भाव में होगा तो दूसरे भाव का सूर्य और भी शुभ प्रभाव देगा। आठवें भाव का केतू जातक को अधिक ईमानदार बनाता है। नौवें भाव का राहू जातक को प्रसिद्ध कलाकार या चित्रकार बनता है। नवम भाव का केतू जातक को महान तकनीकी जानकार बनाता है। नवम भाव का मंगल जातक को फैशनेबल बनाता है। यदि सूर्य दूसरे, मंगल पहले और चंद्रमा बारहवें भाव में हो तो जातक की हालत गंभीर हो सकती है और वह हर तरीके से दयनीय होगा। यदि दूसरे भाव में सूर्य अशुभ हो तो आठवें भाव में स्थित मंगल जातक को लालची बनाता है।


उपाय :

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1. किसी धार्मिक स्थान में नारियल का तेल, सरसों का तेल और बादाम दान करें।


2. धन, संपत्ति, और महिलाओं से जुड़े विवादों से बचें।


3. दान लेने से बचें, विशेषकर चावल, चांदी, और दूध का दान नहीं लेना चाहिए।


कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य

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कुंडली के तीसरे भाव का सूर्य अगर शुभ है तो जातक अमीर, आत्मनिर्भर होगा और उसके कई छोटे भाई होंगे। जातक पर ईश्वरीय कृपा होगी और वह बौद्धिक व्यवसाय द्वारा लाभ कमाएगा। वह ज्योतिष और गणित में रुचि रखने वाला होगा। यदि तीसरे भाव में सूर्य अशुभ है और कुण्डली में चन्द्रमा भी अशुभ है तो जातक के घर में दिनदहाडे चोरी या डकैती हो सकती है। यदि पहला भाव पीडित है तो जातक के पडोसियों का विनाश हो सकता है।


उपाय :

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1. मां को खुश रखते हुए उसका आशिर्वाद लें।


2. दूसरों को चावल या दूध परोसें एवं गरीबों को दान दें।


3. सदाचारी रहें और बुरे कामों से बचने का प्रयास करें।


कुंडली के चौथे भाव में सूर्य

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चौथे भाव में यदि सूर्य शुभ है तो जातक बुद्धिमान, दयालु और अच्छा प्रशासक होगा। उसके पास आमदनी का स्थिर श्रोत होगा। ऐसा जातक मरने के बाद अपने वंशजों के लिए बहुत धन और बडी विरासत छोड जाता है। यदि चंद्रमा भी सूर्य के साथ चौथे भाव में स्थित है तो जातक किसी नये शोध के माध्यम से बहुत धन अर्जित करेगा। ऐसे में चौथे भाव या दसवें भाव का बुध जातक को प्रसिद्ध व्यापारी बनाता है। यदि सूर्य के साथ बृहस्पति भी चौथे भाव में स्थित है तो जातक सोने और चांदी के व्यापार से अच्छा मुनाफा कमाता है। यदि शनि सातवें भाव में हो तो जातक को रतौंधी या आंख से संबंधित अन्य रोग हो सकता है। यदि सूर्य चौथे भाव में पीडित हो और मंगल दसवें भाव में हो तो जातक की आंखों में दोष हो सकता है लेकिन उसकी किस्मत कमजोर नहीं होगी।


उपाय :

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1. जातक को चाहिए कि जरूरतमंद और अंधे लोगों को दान दें और खाना बांटें।


2. लोहे और लकड़ी के साथ जुड़ा व्यापार कदापी न करें।


3. सोने, चांदी और कपड़े से सम्बंधित व्यापार लाभकारी रहेंगे।


कुंडली के पांचवें भाव में सूर्य

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यदि सूर्य पांचवें भाव में शुभ है तो निश्चित ही जातक के परिवार तथा बच्चों की प्रगति और समृद्धि होगी। यदि पांचवें भाव में कोई सूर्य का शत्रु ग्रह स्थित है तो जातक को सरकार जनित परेशानियों का सामना करना पडेगा। यदि मंगल पहले अथवा आठवें भाव में हो एवं राहू या केतू और शनि नौवें और बारहवें भाव में हो तो जातक राजसी जीवन जीता है। यदि गुरु नौवें या बारहवें भाव में स्थित है तो जातक के शत्रुओं का विनाश होगा लेकिन यह स्थिति जातक के बच्चों के लिए ठीक नहीं है। यदि पांचवें भाव का सूर्य अशुभ है और बृहस्पति दसवें भाव में है तो जातक की पत्नी जीवित नहीं रहती और चाहे जितने विवाह करें पत्नियां मरती जाएंगी।


उपाय :

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1. ऐसे जातक को संतान पैदा करने में देरी नहीं करनी चाहिए।


2. घर (मकान) के पूर्वी भाग में ही रसोई घर का निर्माण करें।


3. लगातार 43 दिनों तक सरसों के तेल की कुछ बूंदे जमीन पर गिराएं।


कुंडली के छठे भाव में सूर्य

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यदि सूर्य छठे भाव में शुभ हो तो जातक भाग्यशाली, क्रोधी तथा सुंदर जीवनसाथी वाला होता है। यदि सूर्य छठे भाव में हो, चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति दूसरे भाव में हो तो परंपरा का निर्वाह करना फायदेमंद रहता है। यदि सूर्य छ्ठे भाव में हो और सातवें भाव में केतू या राहू हो तो जातक का एक पुत्र होगा और 48 सालों के भाग्योन्नति होगी। यदि दूसरे भाव में कोई भी ग्रह न हो तो जातक को जीवन के 22वें साल में सरकारी नौकरी मिलने के योग बनते हैं। यदि सूर्य अशुभ हो तो जातक के पुत्र और ननिहाल के लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड सकता है। जातक का स्वास्थ भी ठीक नहीं रहेगा।


उपाय :

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1. कुल परम्परा और धार्मिक परम्पराओं कड़ाई से पालन करें अन्यथा परिवार की प्रगति और प्रसन्नता नष्ट हो जायेगी।


2. घर के आहाते (परिसर) में भूमिगत भट्टियों का निर्माण कदापि न करें।


3. रात में भोजन करने के बाद रसोई की आग और स्टोव आदि को दूध का छिड़काव करके बुझाएं।


4. अपने घर के परिसर में हमेशा गंगाजल रखें और बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं।


कुंडली के सातवें भाव में सूर्य

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सातवें भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ है और यदि बृहस्पति, मंगल अथवा चंद्रमा दूसरे भाव में है तो जातक सरकार में मंत्री जैसा पद प्राप्त करता है। बुध उच्च का हो या पांचवें भाव में हो अथवा सातवां भाव मंगल का हो तो जातक के पास आमदनी का अंतहीन श्रोत होगा। यदि सातवें भाव में स्थित सूर्य हानिकारक हो और बृहस्पति, शुक्र या कोई और अशुभ ग्रह ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो तथा बुध किसी भी भाव में नीच हो तो जातक की मौत किसी मुठभेड में परिवार के कई सदस्यों के साथ होती है। सातवें भाव में हानिकारक सूर्य हो और मंगल या शनि दूसरे या बारहवें भाव में स्थित हो तथा चंद्रमा पहले भाव में हो तो जातक को कुष्ट या ल्यूकोडर्मा जैसे चर्म रोग हो सकते हैं।


उपाय :

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1. ऐसे जातक नमक का उपयोग कम मात्रा में करें।


2. किसी भी काम को शुरू करने से पहले मीठा खाएं और उसके बाद पानी जरूर पियें।


3. भोजन करने से पहले रोटी का एक टुकड़ा रसोई घर की आग में डालें।


4. काली अथवा बिना सींग वाली गाय को पालें और उसकी सेवा करें, सफेद गाय ना पालें।


कुंडली के आठवें भाव में सूर्य

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आठवें भाव स्थित सूर्य यदि अनुकूल हो तो उम्र के 22वें वर्ष से सरकार का सहयोग मिलता है। ऐसा सूर्य जातक को सच्चा, पुण्य और राजा की तरह बनाता है। कोई उसे नुकसान पहुंचाने में सक्षम नहीं होता। यदि आठवें भाव स्थित सूर्य अनुकूल न हो तो दूसरे भाव में स्थित बुध आर्थिक संकट पैदा करेगा। जातक अस्थिर स्वभाव, अधीर और अस्वस्थ्य रहेगा। ऐसा जातक ईमानदार होता है किसी की भी बातों में आ जाता है, जिससे कभी-कभी उसे नुकसान भी होता है।


उपाय :

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1. ऐसे जातक को चाहिए कि वह घर में कभी भी सफेद कपड़े न रखे।


2. जातक का घर दक्षिण मुखी न हो. उत्तरमुखी घर अत्यधिक फायदे पहुंचाने वाला हो सकता है।


3. हमेशा किसी भी नये काम को शुरू करने से पहले मीठा खाकर पानी पिना फायदेमंद होगा।


4. यदि संभव हो तो किसी जलती हुई चिता में तांबे के सिक्के डालें और बहती नदी में गुड़ बहाएं ।


कुंडली के नौवें भाव में सूर्य

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नवमें भाव स्थित सूर्य यदि अनुकूल हो तो जातक भाग्यशाली, अच्छे स्वभाव वाला, अच्छे पारिवारिक जीवन वाला और हमेशा दूसरों की मदद करने वाला होगा। यदि बुध पांचवें घर में होगा तो जातक का भाग्योदय 34 साल के बाद होगा। यदि नवें भाव स्थित सूर्य अनुकूल न हो तो जातक बुरा और अपने भाइयों के द्वारा परेशान किया जाएगा। सरकार से अरुचि और प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है। ऐसा जातक भाई के साथ सुखी नहीं रहेगा।


उपाय :

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1. उपहार या दान के रूप में चांदी की वस्तुएं कभी स्वीकार न करें. अपितु चांदी की वस्तुएं दान करें।


2. ऐसे जातक को पैतृक बर्तन और पीतल के बर्तन नहीं बेचना चाहिए।


3. अत्यधिक क्रोध और अत्यधिक कोमलता से बचें रहना चाहिए।


कुंडली के दसवें भाव में सूर्य

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दसवें भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ हो तो सरकार से लाभ और सहयोग मिल सकता है। जातक का स्वास्थ्य अच्छा और वह आर्थिक रूप से मजबूत होगा। जातक को सरकारी नौकरी, वाहनों और कर्मचारियों का सुख मिलता रहेगा। ऐसा जातक हमेशा दूसरों पर शक करता है। यदि दसवें भाव में स्थित सूर्य हानिकारक हो और शनि चौथे भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु बचपन में हो जाती है। सूर्य दसवें भाव में हो और चंद्रमा पांचवें घर में हो तो जातक की आयु कम होगी।

यदि चौथे भाव में कोई ग्रह न हों तो जातक सरकारी सहयोग और लाभ से वंचित रह जाएगा।


उपाय :

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1. ऐसे जातक को चाहिए कि कभी भी काले और नीले कपड़े न पहनें।


2. किसी नदी या नहर में लगातार 43 दिनों तक तांबें का एक सिक्का डालना अत्यंत शुभ फल देगा।


3. जातक का मांस मदिरा के सेवन से बचें रहना फायदेमंद होगा।


कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य

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यदि ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य शुभ है तो जातक शाकाहारी और परिवार का मुखिया होगा। जातक के तीन बेटे होंगे औए उसे सरकार से लाभ मिलेगा। ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ नहीं है और चंद्रमा पांचवें भाव में है। और सूर्य पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो यह जातक की आयु को कम करने वाली होती है।


उपाय :

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1. ऐसे जातक को चाहिए कि वह मांसहार और शराब के सेवन से बचे।


2. जातक को रात में सोते समय बिस्तर के सिरहने बादाम या मूली रखकर सोना चाहिए।


3. दूसरे दिन उस बादाम या मूली को मंदिर में दान करने से आयु और संतान सुख मिलता है।


कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य

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यदि बारहवें भाव में स्थित सूर्य शुभ हो तो जातक 24 साल के बाद अच्छा धन कमाएगा और जातक का पारिवारिक जीवन अच्छा बितेगा। यदि शुक्र और बुध एक साथ हो तो जातक को व्यापार से लाभ मिलता है और जातक के पास आमदनी के नियमित स्रोत होते हैं। यदि बारहवें भाव का सूर्य अशुभ हो तो जातक अवसाद ग्रस्त, मशीनरी से आर्थिक हानि उठाने वाला और सरकार द्वारा दंडित किया जाने वाला होगा। यदि पहले भाव में कोई और पाप ग्रह हो तो जातक को रात में चैन की नींद नहीं आएगी।


उपाय :

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1. जातक को हमेशा अपने घर में एक आंगन रखना चाहिए।

 

2. ऐसे जातक को चाहिए कि वह हमेशा धार्मिक और सच्चा बने।


3. ऐसे जातक को अपने घर में एक चक्की रखना चाहिए।


4. अपने दुश्मनों को हमेशा क्षमा करें।

सूर्य को जल अर्पित कैसे करें।

 

ये सूर्य भगवान को जल चढ़ाने का सही तरीका, मिलता है सौभाग्य

 अगर कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर है तो कहा जाता है कि इससे सेहत, पैसों की समस्या होने लगती हैं। इसके लिए अगर रोज सूर्य भगवान को सही तरीके से जल चढ़ाया जाए तो कहा जाता तो सूर्य के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।

 अगर रोज सुबह सुबह सूर्य भगवान को जल अर्पित किया जाए तो न केवल इससे दिमाग शांत रहता है बल्कि कुंडली में सूर्य ग्रह बलवान होता है। इसके लिए आज हम आपको बता रहे हैं सूर्य भगवान को जल चढ़ाने का सही तरीका।

 सूर्य भगवान को जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद रोज साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए। कहा जाता है सूर्य भगवान को जल अर्पित करने से सेहत और पैसों से जुड़ी हर समस्या का समाधान हो जाता है।

 सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले अपने हाथ आगे तक सही से फैलाएं और सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं। कहा जाता है कि सुबह के समय जब सूर्य के किरणें निकलती हैं तो सूर्य भगवान को जल चढ़ाने से ये आपके शरीर पर भी पड़ती और सभी ग्रह आपको आशीर्वाद देते हैं।

 सूर्य भगवान को जल चढ़ाने के बाद सूर्य की तीन बार परिक्रमा करना चाहिए और इसके बाद धरती के पैर छूने चाहिए। और ओम सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

शुक्र का सिंह राशि में गोचर, सभी 12 राशिओं का फलकथन

 

✍🏻शुक्र देव 27 सितंबर की मध्यरात्रि 01 बजे सूर्य देव की राशि सिंह में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि में शुक्र 23 अक्टूबर तक स्थित रहेंगे डॉ अशोक श्रीश्रीमाल ने  बताया कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार, शुक्र ग्रह सिंह राशि में रहते हैं तो वे बहुत अच्छा फल नहीं देते हैं क्योंकि सूर्य देव और शुक्र ग्रह के बीच शत्रुता का भाव है। शुक्र देव को इस संसार के समस्त भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। आइए जानते हैं शुक्र के इस गोचर का प्रभाव आपकी राशि पर क्या पड़ेगा।


*१:-मेष राशि:-* शैक्षणिक प्रतियोगिता की दृष्टि से समय अनुकूल रहेगा। प्रेम अथवा दांपत्य संबंधी मामलों में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। संतान संबंधी चिंता परेशान कर सकती है। स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें। आय के साधन बढ़ेंगे। दिया गया धन भी वापस मिलने के संकेत। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों से सहयोग मिलेगा। शासन सत्ता का सदुपयोग करें, उच्चाधिकारियों से भी मधुर संबंध बनाए रखें।

*२:-वृषभ राशि:-* आपके लंबित कार्य पूरे होंगे, लेकिन माता जी की सेहत का ध्यान रखना होगा। मकान अथवा वाहन खरीदने का संकल्प पूर्ण हो सकता है किंतु किसी न किसी कारण से आप मानसिक अशांति का सामना करेंगे। मित्रों तथा संबंधियों से भी सहयोग मिलेगा। यात्रा सावधानीपूर्वक करें। सामान चोरी होने से बचाएं। रुके हुए सरकारी कामकाज पूरे होंगे।

*३:-मिथुन राशि:-* आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। आपके द्वारा किए गए कार्यों तथा लिए गए निर्णय की सराहना भी होगी। भाइयों में आपसी मतभेद बढ़ सकता है इसे ग्रह योग समझकर बढ़ने न दें। धर्म एवं अध्यात्म के क्षेत्र में गहरी रूचि रहेगी। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन करना सफल रहेगा। विवाह संबंधित वार्ता सफल रहेगी। नवदंपति के लिए संतान प्राप्ति अथवा प्रादुर्भाव के योग हैं।

*४:-कर्क राशि:-* आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बनेंगे और दिया गया धन वापस आने के संकेत। विलासिता पूर्ण वस्तुओं पर खर्च होगा। मकान-वाहन आदि का क्रय भी करना चाह रहे हों तो अवसर अनुकूल है लाभ उठाएं। नए कार्य अथवा व्यापार आरंभ करने की दृष्टि से भी गोचर अनुकूल रहेगा। इस अवधि में सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। स्वास्थ्य के प्रति हर समय सजग रहना पड़ेगा। पैतृक संपत्ति बेचने से बचें.!

*५:-सिंह राशि:-* आपको अप्रत्याशित परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। यद्यपि इस राशि में शुक्र का गोचर जातक को अशांत करता है इसलिए आपको भी कहीं न कहीं से मानसिक अशांति का सामना करना ही पड़ेगा। मांगलिक कार्यों का सुअवसर आएगा। विवाह संबंधित वार्ता भी सफल रहेगी किंतु, दांपत्य जीवन में कटुता न आने दें। शासन सत्ता का सहयोग मिलेगा। प्रतिष्ठित लोगों से भी मेलजोल बढ़ेगा। विद्यार्थियों अथवा प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को अच्छे अंक के लिए और प्रयास करने होंगे।

*६:-कन्या राशि:-* इस समय अपनी सेहत का ख्याल रखें। घूमने फिरने तथा विलासिता पूर्ण वस्तुओं के खरीदने पर अधिक खर्च होगा। लेन-देन के मामलों में तो अधिक सावधानी बरतें किसी को भी अधिक धन उधार के रूप में न दें अन्यथा धन हानि की संभावना बनी रहेगी। कोर्ट कचहरी के मामलों में निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत हैं।

*७:-तुला राशि:-* इस अवधि में लाभकारी परिणाम प्राप्त होंगे। कार्य में देरी भले हो सकती है किंतु अंततः आप सफल रहेंगे। अपने सामर्थ्य तथा ऊर्जा शक्ति के बल पर विषम हालात को भी सामान्य कर लेंगे। स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें कोर्ट कचहरी के मामले बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा। किसी प्रतियोगिता में अच्छी सफलता मिलेगी। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति के योग हैं।

*८:-वृश्चिक राशि:-* पैतृक संपत्ति से लाभ के योग हैं। नौकरी में पदोन्नति तथा मान- सम्मान की प्राप्ति होगी। नए अनुबंध पर हस्ताक्षर अथवा नौकरी में स्थान परिवर्तन करना चाह रहे हों तो प्रयास करें समय अनुकूल है। मकान वाहन खरीदने का सपना पूरा हो सकता है। मित्रों तथा सहयोगियों से भी लाभ के योग। प्रेम संबंधी मामलों में प्रगाढ़ता आएगी परिवार में मांगलिक कार्यों से माहौल खुशनुमा रहेगा.!

*९:-धनु राशि:-* आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ धर्म-कर्म के मामलों में रुचि बढ़ेगी। विदेश यात्रा करना अथवा विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन करना दोनों में सफल रहने के योग। नए लोगों से मेलजोल बढ़ेगा और सहयोग भी मिलेगा। आप अपनी कार्यकुशलता के बलपर विषम हालात को भी सामान्य कर लेंगे। आपके द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना भी होगी। नया व्यापार भी आरंभ करना चाह रहे हों तो समय अनुकूल है।

*१०:-मकर राशि:-* स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, सावधान रहें। सामाजिक पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का शिकार होने से बचें। आर्थिक मामलों में उन्नति होगी। विलासिता पूर्ण वस्तुओं पर खर्च होगा। काफी दिनों का दिया गया धन भी वापस मिलने के संकेत है। विद्यार्थियों अथवा प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को अच्छे अंक के लिए अधिक प्रयास करने होंगे।

*११:-कुंभ राशि:-* कार्य व्यापार की दृष्टि से समय लाभदायक रहेगा किंतु साझा व्यापार करने से बचें। केंद्र अथवा राज्य सरकार से जुड़े हुए विभागों में कार्यो का निपटारा होगा। दैनिक व्यापारियों के लिए समय और भी अनुकूल। विवाह संबंधी वार्ता सफल रहेगी। दांपत्य जीवन में कटुता न आने दें। ससुराल पक्ष से भी रिश्ते बिगड़ने न दें। आपका स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा। प्रेम संबंधी मामलों में आपसी विश्वास बढेगा। प्रेम विवाह का भी निर्णय अनुकूल रहेगा।

*१२:-मीन राशि:-* अधिक कर्ज के लेनदेन से दूर ही रहें। स्वास्थ्य संबंधी चिंता बढ़ेगी। गुप्त शत्रुओं की भी अधिकता रहेगी। आपके अपने ही लोग नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे सावधान रहें। कोर्ट कचहरी के मामले भी आपस में सुलझा लें तो बेहतर रहेगा। यात्रा देशाटन से लाभ के योग। विदेशी कंपनियों से सर्विस के लिए आवेदन करना सफल रहेगा। यात्रा-देशाटन तथा विलासितापूर्ण वस्तुएं खरीदने पर अधिक खर्च होगा।

*हनुमान जी के चमत्कारिक उपाय*

 

    सुंदर काड के पाठ नियमित रुप से  या मंगलवार शनिवार को करना शुरू कर दें।

 प्रतिदिन संध्यावंदन के समय हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए।  संध्यावंदन घर में या मंदिर में सुबह-शाम की जाती है। पवित्र भावना और शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है, जो हमें हर तरह की जानी-अनजानी होनी-अनहोनी से बचाती है। 

हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद हनुमानजी की कपूर से आरती करें।
हनुमानजी को चढ़ाएं पांच बार  चोला चढ़ाएं, तो तुरंत ही संकटों से मुक्ति मिल जाएगी।

 इसके अलावा प्रति मंगलवार या शनिवार को बड़ के पत्ते पर आटे का दीया जलाकर उसे हनुमानजी के मंदिर में रख आएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार या शनिवार को करें।

*नारियल का उतारा :*

 पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर जाकर अग्नि में जला दें। ऐसा परिवार के जिस सदस्य पर संकट हो उसके ऊपर से वारें।
उक्त उपाय किसी मंगलवार या शनिवार को करना चाहिए। 5 शनिवार ऐसा करने से जीवन में अचानक आए कष्ट से छुटकारा मिलेगा। यदि किसी सदस्य की सेहत खराब है तो उसके लिए यह ऊपाय उत्तम है।


*गाय, कुत्ते, ‍चींटी और पक्षियों को भोजन खिलाएं :*

वृक्ष, चींटी, पक्षी, गाय, कुत्ता, कौवा, अशक्त मानव आदि प्राणियों के अन्न-जल की व्यवस्था करने से इनकी हर तरह से दुआ मिलती है।

 इसे वेदों के पंचयज्ञ में से एक 'वैश्वदेव यज्ञ कर्म' कहा गया है। यह सबसे बड़ा पुण्य माना गया है।


*मछलियों को खिलाएं :*

 कागजों पर छोटे अक्षरों में राम-राम लिखें। अधिक से अधिक संख्या में ये नाम लिखकर सबको अलग-अलग काट लें। अब आटे की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर एक-एक कागज उनमें लपेट लें और नदी या तालाब पर जाकर मछलियों और कछुओं को ये गोलियां खिलाएं। कछुओं और मछलियों को नित्य आटे की गोलियां खिलाएं ।

🔔🌍23 सितंबर के बाद चीन संग और बिगड़ेंगे हालात🌍🔔


🌏चीन संग और बिगड़ेंगे हालात, क्या होगा 23 सितंबर के बाद जब राहु आएगा वृष राशि में 🌏
👉चीन संग और बिगड़ेंगे हालात
👉अधिक संवेदनशील वृषभ राशि में राहु का गोचर 
👉कुछ महीने संवेदनशील रहेंगे भारत के लिए
👉भारत पर युद्ध और किसी बड़े नेता के साथ अनहोनी घटना
👉यूनिफार्म सिविल कोड जैसा कानून लागू करना हो भी सकता है
👉पिछले सालो में जब राहु वृष राशि तब भारत में अनहोनी घटना
👉23 सितंबर को दो पाप ग्रह राहु और केतु का राशि परिवर्तन होने जा रहा है। ये दोनों ग्रह हमेशा आमने-सामने रहते हैं। इन दोनों ग्रहों का राशि परिवर्तन राशियों को जहां प्रभावित करेगा वहीं भारत और देश के प्रधानमंत्री की कुंडली पर भी असर डालेगा। 
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👽पिछले सालो में जब जब राहु वृष राशि में आया है तब तब भारत के लिए संवेदनशील हुवा है 👽
👽राहु वृष राशि में 01 मई, 1946 नवंबर 18, 1947👽
👉भारत की आजादी और बटवारे के समय हुए सांप्रदायिक दंगों 

👽राहु वृष राशि में 05 दिसंबर, 1964 जून 24, 1966👽
👉भारत-पाक युद्ध 1965 
👉श्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मृत्यु  11 जनवरी 1966 

👽राहु वृष राशि में 13 जुलाई, 1983 जनवरी 29, 1985👽
👉ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 जून 1984 – 8 जून 1984
👉इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर 1984

👽राहु वृष राशि में 16 फरवरी, 2002 सितंबर 05, 2003👽
👉गुजरात गोधरा काण्ड 27 फ़रवरी 2002 

👽राहु वृष राशि में  23 सितंबर, 2020 अप्रैल 12, 2022👽

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 🌏 अधिक संवेदनशील वृषभ राशि में राहु का गोचर   🌏
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👉मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ के अनुसार वृषभ राशि में राहु का गोचर मनुष्यों को दुःख देने वाला तथा दुर्भिक्ष कारक कहा गया है। भारत के संदर्भ में अन्य देशों की तुलना में वृषभ राशि में राहु का गोचर अधिक संवेदनशील पाया गया है। भारत की आजादी और बटवारे के समय हुए सांप्रदायिक दंगों के समय राहु वृषभ राशि में गोचर कर रहा था। वर्ष 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में रहस्यमय मृत्यु के समय भी राहु वृषभ राशि में गोचर कर रहा था।

 🌏 कुछ महीने संवेदनशील रहेंगे भारत के लिए 🌏
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👉ठीक 18 वर्ष बाद जब राहु पुनः वृषभ राशि में पहुंचे तो ऑपरेशन ब्लू स्टार, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और सांप्रदायिक दंगों ने भारत की आत्मा को झकझोर दिया। दिसंबर 2001 में संसद पर आतंकी हमले तथा कुछ महीनों बाद हुए गुजरात दंगों के समय भी राहु वृषभ राशि में गोचर कर रहा था। 23 सितंबर को राहु पुनः वृषभ राशि में आ रहे हैं। यहां राहु 18 महीनों तक रहेंगे। ऐसे में कोरोना महामारी, आर्थिक मंदी और सीमा पर चीन की आक्रामकता से जूझ रहे भारत के लिए अगले कुछ महीने बेहद संवेदनशील होने वाले हैं।

 🌏राहु-केतु का प्रभाव आजाद भारत और प्रधानमंत्री मोदी की कुंडली पर 🌏
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👉17 सितंबर 1950 को पैदा हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली वृश्चिक लग्न की है और आजाद भारत की कुंडली वृष लग्न की है। वृश्चिक और वृष राशि दोनों एक दूसरे से समसप्तक यानि 1/7 (आमने-सामने) के अक्ष पर हैं। इसलिए राहु के वृषभ राशि में और केतु के वृश्चिक राशि में गोचर के समय आज़ाद भारत की कुंडली तथा प्रधानमंत्री मोदी की कुंडली दोनों का लग्न और सप्तम भाव इन पाप ग्रहों के फंदों में जकड़ जाएगा। आज़ाद भारत की कुंडली में अभी चंद्रमा में शनि की अशुभ दशा चल रही है जो कि अगले वर्ष जुलाई के महीने तक चलेगी। दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी चंद्रमा में सूर्य की विंशोत्तरी दशा में चल रहे हैं जो कि उनकी कुंडली में पाप ग्रहों से प्रभावित हैं। प्रधानमंत्री मोदी की कुंडली में चंद्रमा नीच का होकर संघर्ष स्थान यानी छठे भाव के स्वामी पाप ग्रह मंगल से युत है जबकि सूर्य की केतु से युति उनके स्वस्थ्य और सुरक्षा को लेकर अगले 18 महीने कुछ संवेदनशील स्थिति का निर्माण कर रहे हैं।

 🌏 बिगड़ सकती है स्थिति और चीन संग  🌏
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👉राहु के वृषभ राशि में गोचर से कुछ दिन बाद सूर्य 17 अक्टूबर को अपनी नीच राशि तुला में पहुंच कर शनि की दसवीं दृष्टि तथा मंगल की आठवीं दृष्टि से पीड़ित होंगे जिसके फलस्वरूप चीन से हालात और बिगड़ सकते हैं। शेयर बाजार में भारी गिरावट तथा सोने में तेजी का योग बनेगा। राहु का वृष में आना तथा सूर्य का भी पीड़ित होना 17 अक्टूबर से 16 नवंबर के बीच भारत पर युद्ध और किसी बड़े नेता के साथ अनहोनी घटना का योग बना रहा है जिससे देश में विचित्र स्थिति का निर्माण हो सकता है। अगले वर्ष फरवरी माह में 6 ग्रहों की मकर में युति, मंगल का मेष में गोचर तथा राहु का वृष में होना सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित करने का योग बना सकता है। जिसका कारण यूनिफार्म सिविल कोड जैसा कानून सरकार के द्वारा आनन-फानन में लागू करना हो भी सकता है। ऐसे में सत्तारुढ़ दल को संभलकर चलने की जरूरत होगी, जनता का विश्वास खासकर युवाओं में अपना प्रभाव बनाए रखना बेहद जरूरी होगा।

चन्द्रमा के रुष्ट होने के संकेत और उपाय



 पुराण से वैसे तो चन्द्र देव का स्वभाव स्वभाव बहुत शांत और ठंडा होता है और यही वजह है कि वो हम सभी को शीतलता प्रदान करते है।

 किन्तु जब वे गुस्से में आते है तो उसके परिणाम बहुत भयंकर और विनाशकारी हो सकते है ।इसलिए कभी भी चन्द्र देव को कुपित ना होने दें और अगर वे कभी आपसे रुष्ट हो भी जाएँ तो आप तुरंत कुछ उपायों को अपनाकर उन्हें जल्दी से प्रसन्न कर लें।

 आज हम चन्द्र देव से जुडी कुछ ऐसी बातें बताने वाले है जिन्हें जानकार आप पता लगा सकते हो कि चन्द्र देव आपसे रुष्ट है या नहीं और अगर है तो उन्हें किस तरह मनाया जा सकता है ।

कुपित चन्द्रमा के संकेत मानसिक परेशानी चंद्रमा के रुष्ट होते ही -

जो पहला संकेत सामने आता है वो है मानसिक चिंता व परेशानी ऐसे में जातक खुद को फंसा फंसा महसूस करता है ।उसे समझ नहीं आता कि वो अपनी समस्याओं से कैसे बाहर निकलें माता से दूर होना जातक की माता भी उससे रुष्ट हो जाती है ।और वो अपनी माँ के सुख की कमी महसूस करता है कहने का अर्थ ये है कि उसके और उसकी माता के बीच का रिश्ता पहले जैसा नहीं रहता।

बायीं आँख में कमजोरी अगर किसी व्यक्ति की बायीं आँख अचानक कमजोर हो जाती है तो उन्हें समझ जाना चाहियें कि उनकी कुंडली में चन्द्रमा रुष्ट हो चुके है। आँखों के पास कालापन यहीं नहीं जातक की आँखों के पास कालापन भी दिखने लगता है जो उसके बुरे समय और थकान को दर्शाता है ।

छाती में बलगम जमना सुनने में तो ये आपको सामान्य सा लक्षण लगता है किन्तु जब अगर आप बाकी संकेतों के साथ इसे देखा जाए तो ये पुष्टि करता है कि हाँ सच में चन्द्रमा कुपित हो चुके है ।

यहीं नहीं उन्हें अन्य वात रोग भी अपना शिकार बना लेते है पुराने दिनों का स्मरण क्योकि चन्द्रमा के गुस्सा होने पर जातक का बुरा समय आरम्भ हो जाता है। इसलिए उसे बार बार अपने पुराने दिन स्मरण होते रहते है।

अधिक नींद आना  ऐसे में जातक खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से इतना थका लेता है,कि उसे नींद आने लग जाती है और वो बिस्तर पर पड़ा रहता है।

 मासिक धर्म में अनियमितता  अगर किसी महिला पर चन्द्र रुष्ट होते है तो उनके माहवारी चक्र में अनियमितता होनी शुरू हो जाती है। बालों का सफ़ेद होना कहा जाता है कि चिंता करने से बाल सफ़ेद होते है जबकि बालों के सफ़ेद होने के पीछे भी चन्द्र देव का ही हाथ होता है।

 सिर दर्द  जातक को धीरे धीरे अन्य बीमारियाँ अपना शिकार बना लेती है और उनमे सबसे पहले आता है साइनस जल का असंतुलन इसके अलावा जातक के अंदर जल का अभाव व असंतुलन बना रहता है ।

उसकी त्वचा शुष्क हो जाती है वो खुद को कमजोर महसूस करने लगता है इस स्थिति में कुछ लोग तो जल्दी जल्दी पानी पीना आरम्भ कर देते है।

 शरीर में कैल्शियम की कमी पानी के साथ साथ पीड़ित के शरीर का कैल्शियम भी लगातार कम होता जाता है और उसके शरीर से दुर्गन्ध भी आने लगती है ।

तत्व अनुसार रुष्ट चंद्रमा को मनाएं अग्नि तत्व  अगर चन्द्रमा अग्नि तत्व में होने पर कुपित होता है तो जातक को सोमवार के व्रत रखने के साथ साथ चंद्रा की हवन सामग्री से हवन अवश्य कराना चाहियें।

 वायु तत्व वहीँ उनके वायु तत्व में नाराज होने पर आपको चन्द्रमा के सामान को जमीन में दबा देना चाहियें ।

अगर आप ये ना कर सकें तो आप चन्द्रमा की अंगूठी को अवश्य पहनें । जल तत्व लेकिन अगर चन्द्र जल तत्व में रुष्ट है तो आपको सोमवार के दिन कच्चे चावल लेने है और उन्हें बहते पानी में प्रवाहित करना है इसके अलावा आप किसी महिला को चन्द्रमा का सामान भी अवश्य दें ।

पृथ्वी तत्व पृथ्वी तत्व में चन्द्र के गुस्सा होने पर आपको "ॐ सोमाय नम "मंत्र का जाप करना है। ध्यान रहें, कि मंत्र जप रात को या शिवजी की पूजा के वक़्त ही करें।

राहु केतु के परिवर्तन 23 सितंबर को हो रहा है

 

♦ राहु केतु परिवर्तन से भारत को विशेष सफलता प्राप्त होगी शत्रुओं का नाश होगा।


♦अमेरिका और रूस जैसे देशों के लिए खराब स्थिति रहेगी अमेरिका और रूस जैसे देशों में या ऐसे कई देश हैं जिनमें प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ जैसी दुर्घटनाएं भूकंप आगजनी की घटनाएं विशेष होगी।


 राहु केतु के परिवर्तन से कई देशों में कई ऐसी बीमारियां पैदा होगी जो डॉक्टरों से  समझ में नहीं आएगी।


 23 सितंबर से लेकर के दिसंबर माह तक देश विदेशों में बेमौसम बारिश आंधी तूफान बहुत भारी बताएं आग लगना तो बहुत भारी लगना भूकंप आना कई राष्ट्रों में राजनीतिक उथल-पुथल होगी हो सकता है कई राष्ट्रों की सत्ता परिवर्तन होने की संभावना पूर्ण रूप से होती है। 

 

♦ मध्यप्रदेश में भी दिसंबर तक सत्ता परिवर्तन के योग बनते हैं यह सत्तापक्ष को बहुत परेशानी आने की संभावना पूर्ण रुप रूप से संभावना व्यक्त की जाती है।


♦ सन 2021 में होने 

वाले विधानसभा चुनाव में भी कई राज्यों में भारी उथल-पुथल के योग बनते हैं।


♦भारत के अंदर केंद्र में दिसंबर तक राजनीतिक लोगों के ऊपर भारी कष्ट की संभावना दिखाई देती। 

अधिकांश राजनेताओं को अपनी यात्रा टालने चाहिए।


♦ दिसंबर तक का समय युद्ध होने जैसा ही रहेगा और युद्ध  भी हो सकता है।

 

# मेष राशि दिसंबर तक का समय पारिवारिक क्लेश बीमारियां पारिवारिक उलझने महामारी बीमारियां जैसी पैदा होने की संभावनाएं मेष राशि वाले को कुलदीप तो देवताओं की उलझन में उलझना पड़ता है।



 #वृषभ राशि दिसंबर तक राशि वाले को पति पत्नी में मतभेद साथ ही धार्मिक कार्य में रुचि व्यापार व्यवसाय में उन्नति सर्विस में लाभ स्थान परिवर्तन के योग।


# मिथुन राशि वाले को शत्रु की वृद्धि पारिवारिक क्लेश की वर्दी।पारिवारिक पितरों का दोस्त पितरों से परेशानी। जिसके कारण आर्थिक संकट राजनीतिक क्षेत्र वाले को भी  कई प्रकार के उतार-चढ़ाव के साथ आर्थिक संकट।


# कर्क राशि वाले को स्त्री पीड़ा का  पीड़ा कारक। इसमें उन्नति व्यापार में लाभ नौकरी में उन्नति।


 #सिंह राशि वाले को माता-पिता की ध्यान रखना चाहिए स्वास्थ्य के बारे में स्थान परिवर्तन के योग सर्विस वाली के लिए राजनीतिक लोगों के लिए सफलता दायक।


 #कन्या राशि वाले के लिए अच्छा समय निकलेगा। उत्कृष्ट कारक रहेगा । पुत्र को पीड़ा कारक व्यापार व्यवसाय में उन्नति सर्विस में लाभदायक राजनीतिक लोगों को सफलता है।


 #तुला राशि वाले के लिए धन की हानि पारिवारिक क्लेश माता पिता के स्वास्थ्य के बारे में ध्यान रखें । ब्राह्मण लोगों को चाहिए कि वह किसी भी प्रकार के सुपारी झेल करके अनुष्ठान करते हैं। ऐसे व्यक्ति सही करें अन्यथा नुकसानदायक। फेफड़े से संबंधित बीमारियां पितरों या प्रेत बाधाओं से गिरे हुए रहना प्रेत बाधा बनी रहती है। गणेश जी की आराधना करनी चाहिए।


# वृश्चिक राशि स्त्री पुत्र पीड़ा कारक। ऐसे व्यक्तियों को बीमारी के लिए हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए ऊपरी बाधाओं का ध्यान रखें टोने टोटके के पक्ष में ना रखते हुए समय पर इलाज करा दें।कई प्रकार के उतार-चढ़ाव।


#धनु राशि पारिवारिक क्लेश धन्य रुकावट मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों का ध्यान रखें शत्रुओं से सावधान रहें। पुत्रों का ध्यान रखें विफल होने वाली बीमारियों को तत्काल इलाज  चलाना चाहिए। गणेश जी की आराधना के साथ हनुमान जी की आराधना।


# मकर राशि विशेष प्रकार से पुत्रों का ध्यान रखना चाहिए कई प्रकार की बीमारियों का तत्काल इलाज करवाना चाहिए। पुत्र स्त्री परिवार मैं होने वाले पीड़ा क्लेश से बचना चाहिए । राजनीतिक क्षेत्र में सफलता है व्यापार व्यवसाय में उन्नति।


 #कुंभ राशि वाले को माता-पिता का ध्यान रखना चाहिए और स्वयं का भी ध्यान रखना चाहिए दुर्घटना से हमेशा बचने का प्रयास करना चाहिए आने पर तत्काल डॉक्टरों को बताना चाहिए राजनीति क्षेत्रों के लिए सफलता दायक व्यापार व्यवसाय में उन्नति रहेगी दुर्घटनाओं से बचने के लिए शिव जी की गणेश जी की हनुमान जी की उपासना करें।

 

#मीन राशि वाले को राजनीतिक सफलता है उन्नति यस समय बहुत ही अनुकूल है विशेष सफलता दायक समय रहेगा ।

वृषभ राशि में होने वाला मायावी ग्रह राहु का गोचर

राहु का गोचर मायावी ग्रह कि माया मैं आने वाले आपके 18 महीने 23–9-2020 से  12-4 2022 

 राहु गोचर 2020 से जानते हैं सभी राशियों पर राहु के राशि परिवर्तन का विशेष प्रभाव और राहु ग्रह के ज्योतिषीय महत्व के बारे में।

 वैदिक ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह कहा गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है फिर भी मानव जीवन में इसका सबसे अधिक और महत्वपूर्ण प्रभाव रहता है। राहु के लिए कहा गया है कि राहु अगर बिगड़ जाये तो नरक सी जिंदगी बना देता है और सुधर जाये तो ताज भी पहना देता है। राहु के लिए ही कहा गया है कि राहु जिसे मारे तो फिर उसे कौन तारे और राहु जिसे तारे फिर उसे कौन मारे। 

राहु अगर खराब फल दे तो मुक़द्दमों में अवश्य फँसवाता है और बिना बात की मानसिक परेशानियों में उलझा देता है। राहु का शुभ प्रभाव हो तो जातक को बहुत सारा धन और राजनीति में मान तथा सम्मान के साथ उच्च पद भी मिलता है।

इस वर्ष की शुरुआत से 23 सितम्बर 2020 तक राहु का गोचर मिथुन राशि में रहेगा और 23 सितम्बर 2020 को प्रात: 08: 20 पर यह मिथुन से वृषभ राशि में संचार करेगा। राहु हमेशा वक्री अवस्था में ही संचार करता है। कलयुग में राहु का गोचर मानव जीवन पर बहुत अहम भूमिका निभाता है। आईये जाने राहु की 2020 की यात्रा राशियों पर क्या प्रभाव डालती है।
सभी ग्रहों की तरह राहु ग्रह भी अपनी राशि निश्चित समय के बाद बदलता ही है, परंतु यह एक पापी ग्रह है, इसलिए लोग इसके राशि परिवर्तित करते ही संकट में आ जाते हैं। 

मायावी ग्रह राहु के गोचर का राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा 

मेष :अ, ल, इ :    राहु गोचर 2020 में मेष राशि में राहु का गोचर राशि से तीसरे यानि पराक्रम भाव मेंं है। राहु का तीसरे भाव में गोचर बहुत शुभ माना जाता है। इस समय में आपका साहस और पराक्रम बना रहेगा और आप जो भी कार्य करेंगे वह अपने आधार पर करेंगे। आपको किसी का सहयोग मिले या न मिले, आप खुद ही अकेले आगे बढ़ सकते है। आपकी राशि का स्वामी मंगल वैसे ही अग्नि की भांति ऊपर उठना चाहता है। इस गोचर के सहयोग से भी आप अपने व्यवसाय में कुछ नया कर दिखाने में कामयाब होंगे। अगर आपकी खेल में रुचि है तो इस वक्त आप किसी बड़े पड़ाव पर जा कर खेल सकते है। वैवाहिक जीवन के लिए यह राहु कुछ भ्रम ला सकता है। बहुत ही सावधानी से अपने जीवन साथी के साथ रिश्ते को संभालें। आय और लाभ के लिए भी सितम्बर तक का समय बेहतर रहेगा। आप किसी नये कार्य में भी रुचि ले सकते हैं, जिसमें आपको धन लाभ होगा। सितम्बर के बाद राहु का गोचर आपकी राशि से दूसरे भाव में रहेगा, इस समय आपको अपने खर्चे और वाणी पर काबू रखना होगा। 

वृषभ :~ ब, व, उ :   आपकी राशि से राहु गोचर 2020 दूसरे भाव यानि धन भाव में रहेगा। इस समय में अपने धन का खर्च बहुत ही सावधानी से करें। कुछ ऐसे खर्चे भी हो जाएंगे जो बेवज़ह होंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब आप इतना खर्च कर बैठे। अपनी वाणी का इस्तेमाल भी बहुत सोच समझकर करें, नहीं तो बिना सोचे समझे बोलने से आपके बहुत ही खास रिश्ते आपसे दूर होने लगेंगे। अपने कार्यस्थल में अपने अहम को हावी न होने दें नहीं तो नुकसान आपका ही होगा, जो आपके मानसिक तनाव का कारण बनेगा। नौकरी में भी किसी तरह का तनाव भरा माहौल बना रहेगा। आपको बहुत ही सावधानी से सितम्बर तक का समय निकालना होगा। सितम्बर के बाद राहु का गोचर आपकी ही राशि में होगा, इस गोचर के दौरान आप किसी तरह की ग़लतफ़हमी के शिकार हो सकते है और बिना बात का मानसिक तनाव भी बना रहेगा। 

मिथुन :~  क, छ, घ: आपकी राशि पर ही राहु गोचर 2020 में होने से साल की शुरुआत कुछ मानसिक तनाव और भ्रम के साथ हो सकती है। अधिक सोचने की वज़ह से भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं ले पाएंगे। व्यापार स्थल में लेन देन को लेकर सावधानी रखने की आवश्यकता है नहीं तो धोखा होने की सम्भावना बन रही है। इस गोचर के दौरान आर्थिक मामलों में भी सावधानी के साथ खुद पर क़ाबू रखेंं। छोटी- छोटी यात्राओं के साथ आपके परिवार में किसी मांगलिक कार्य में आप साल के मध्य में व्यस्त रहेंगे। पिता के साथ अनबन हो रही है तो सँभाल लें नहीं तो पैतृक सम्पत्ति में आपके भाई बहन इस बात का फायदा उठा सकते है। माता का सहयोग आपके जीवन में बना रहेगा। वैवाहिक जीवन में किसी ग़लतफहमी की वज़ह से आपसी तनाव बढ़ सकता है, जिसमें सितम्बर के बाद ही राहत मिलेगी। सितम्बर में राहु का गोचर आपकी मिथुन राशि से वृषभ राशि में होगा। बारहवें भाव का यह गोचर विदेश यात्रा के लिए शुभ रहेगा परंतु अत्यधिक ख़र्चों के लिए बेहतर नहीं रहेगा। 

कर्क :~ ड, ह:  कर्क राशि से बारहवें भाव में राहु गोचर 2020 में होने से ख़र्चों की वज़ह से मानसिक तनाव हो सकता है। यह राहु आपके विदेश जाने का सपना भी सच करेगा और वहां बसने के लिए भी आपकी कोशिश कामयाब रहेगी। इस वर्ष आपका रुका हुआ धन या किसी को दिया हुआ धन वापिस मिल सकता है। आप अपने परिवार के साथ धार्मिक स्थान पर भी जा सकते है, जिस वज़ह से आप अपने परिवार के साथ भी समय बिता पाएंगे। वैवाहिक जीवन में आपके साथी को कोई नयी उपलब्धि मिल सकती है, जिस वज़ह से घर में खुशी का माहौल बनेगा। संतान से किसी बात पर वाद-विवाद हो सकता है। सितम्बर में राहु का गोचर आपकी राशि से एकादश भाव में होगा। यह समय आर्थिक स्थिति के लिए बहुत बेहतर रहेगा। आपके धन से जुड़े सपने पूर्ण होंगे और समाज में नई पहचान बनेगी। व्यवसाय को लेकर नये प्रोजेक्ट मिलेंगे जिसमें आपने ईमानदारी से ही कार्य करना है। 

सिंह :~ म, ट:  राहु गोचर 2020 के अनुसार वर्ष की शुरुआत में आपकी राशि से एकादश भाव में राहु का गोचर रहेगा। यह समय बेहतर आर्थिक स्थिति और लाभ का बना हुआ है। इस समय आये हुए धन को सही जगह निवेश करें तभी यह धन आपके पास टिका रहेगा नहीं तो जिस तरह से धन आएगा उसी तरह से खर्च भी हो जाएगा। इस वर्ष आपके व्यवसाय की शुरुआत एक नये अवसर के साथ हो सकती है,म, जिसमें आपकी नई पहचान भी बन सकती है और विदेशी कम्पनी से नये प्रोजेक्ट मिलने से आय के साथ लाभ भी बना रहेगा। वैवाहिक सुख को लेकर कुछ तनाव सा बना रह सकता है क्योंकि काम की व्यस्तता के कारण भी आप घर परिवार में समय नहीं दे पाएंगे। अगस्त माह के आसपास आपके जीवन में एक नया साथी दोस्त के रुप में आएगा जिससे आपको प्रेम हो जाएगा। सितम्बर से यही राहु मिथुन राशि से वृषभ राशि यानि आपकी राशि से दशम भाव में गोचर करेगा। इस समय में आप कार्य को लेकर कुछ भ्रम की अवस्था में आ सकते हैं। 

कन्या :~ प, ठ, ण* कन्या राशि के लिए राहु गोचर 2020 में राशि से दशम भाव में चल रहा है। यह समय नये कार्य के लिए बेहतर नहीं है। कार्य-स्थल में भ्रम की स्थिति बनी रहेगी और कर्मचारियों के साथ भी मतभेद भी बना रहेगा। आर्थिक स्थिति को लेकर भी तंगी रहेगी। किसी कार्य में निवेश नहीं करें। कर्ज़ की स्थिति को लेकर भी राहत नहीं दिखाई दे रही है। कोई भी कदम जल्दबाज़ी में न उठाए। वैवाहिक जीवन में आपके साथी का आपको पूरा सहयोग मिलेगा और आर्थिक रुप से भी वह आपकी मदद करने की कोशिश करेंगे। संतान की तरफ से कोई मानसिक परेशानी हो सकती है और आपस में आपके विचार न मिलने की वज़ह से भी तनाव बना रहेगा। सितम्बर से राहु का गोचर मिथुन राशि से वृषभ राशि में होगा इस समय में आपकी आध्यात्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी और धार्मिक यात्राओं का भी संयोग बनेगा। पिता के साथ किसी प्रकार के मतभेद से बचें और उनकी सेहत का भी ध्यान रखें। 

तुला :~ र, त:   राहु गोचर 2020 के अनुसार तुला राशि में राहु का गोचर राशि से नवम भाव में चल रहा है। राहु का नवम यानि भाग्य भाव में गोचर होने से साल की शुरुआत में ऐसा लगेगा की सभी काम बन रहे है, पर किसी कारण से रुकावट आने से समय से काम नहीं बन पाएंगे। पिता के साथ ग़लतफहमी की वज़ह से मतभेद हो सकता है। आप किसी भी काम की शुरुआत तो बहुत ही जोश और उत्साह में आ कर करेंगे पर किसी भ्रम में फँस कर मानसिक परेशानी भी महसूस करेंगे। संतान पक्ष से भी किसी वज़ह से रिश्तों में खटास आ सकती है और आपस में विचार न मिलने की वज़ह से दूरी बनी रहेगी। व्यवसाय क्षेत्र में अत्यधिक आत्मविश्वास से बचें और निवेश करते समय किसी सीनियर की सलाह अवश्य ले लें। धार्मिक यात्रा में जाने का अवसर प्राप्त होगा परंतु किसी तरह का दिखावा करने से बचें। सितम्बर से राहु का गोचर मिथुन राशि से वृषभ राशि में होगा। राशि से अष्टम भाव में गोचर होने से अचानक किसी शोध में रुचि होगी विदेश जाने का अवसर प्राप्त होगा। 

वृश्चिक :~ न, य : राहु गोचर 2020 वर्ष की शुरुआत में आपकी राशि से अष्टम भाव में रहेगा। अब तक आप जिस विषय में खोज कर रहे थे इस वर्ष आपको वहां से सफलता की प्राप्ति होगी और कुछ नया कर दिखाने के लिए प्रेरित होंगे। आप जिस से प्रेम करते है, उससे कोई बात न छुपाए, कोई ऐसी बात होगी जो उनको बाहर से पता चलेगी जिस वज़ह से प्रेम में खटास आ सकती है। अपने माता पिता के साथ धार्मिक यात्रा में जाने का संयोग बनेगा। व्यवसाय में समय पहले से बेहतर रहेगा आपको नये प्रोजेक्ट में काम भी मिलेगा और कार्य पूरा होने पर प्रशंसा भी मिलेगी। बॉस की नज़रों में आपकी मेहनत उजागर होने से आपको प्रमोशन मिलेगा। सितम्बर माह से राहु का गोचर सप्तम भाव में होने से इस समय से आप अपने वैवाहिक जीवन को लेकर तनाव में रहेंगे, किसी प्रकार की ग़लतफ़हमी की वज़ह से आपसी दूरी हो सकती है। 

धनु :~ भ, ध,फ: 
राहु गोचर 2020 वर्ष की शुरुआत में राहु का गोचर आपकी राशि से सप्तम भाव में रहेगा। व्यापार में किसी तरह के लेन देन को ले कर सावधान रहें। अपने साझेदार पर भी आँख बंद कर विश्वास न करें। धन से जुड़े कार्य में सँभल कर रहें। अचानक अधिक ख़र्चों की वज़ह से मानसिक तनाव बढ़ सकता है। अपने मित्रों में अधिक समय खराब न करें। वैवाहिक जीवन में राहु की वज़ह से आपसी संबंधों में जीवन साथी के साथ भ्रम बन सकता है, कोई जरा सी बात भी हो तो पहले ही बातचीत से सुलझा लें, अधिक बात बढ़ने से परिवार में तनाव का माहौल बना रहेगा। आप जिस से प्रेम करते हैं उनको अपना समय दें। आपके कार्य की व्यवस्था के कारण आप उनको अपना नहीं दे पा रहे हैं । यही कारण आपसी प्रेम में खटास भर देगा। सितम्बर से राहु का गोचर धनु राशि से छठे भाव में वृषभ राशि में होगा। इस भाव में राहु बहुत शुभ फल देता है और शत्रुओं पर विजय देता है। कोर्ट कचहरी में कोई केस चल रहा था तो यह राहु आपको जीत दिलाएगा। 

मकर :~ ख, ज: राहु गोचर 2020 वर्ष की शुरुआत में मकर राशि से राहु का गोचर छठे भाव में रहेगा। इस समय आपको कर्ज़ के लेन देन में राहत मिलेगी और यह आपको प्रतियोगिताओं में सफलता दिलाएगा। अब तक किसी वाद विवाद को लेकर परेशान थे तो वहां से भी ये राहु बाहर निकाल लाएगा। विदेश जाने का सपना भी इसी गोचर के दौरान सच हो सकता है। आप अपनी तैयारी पूरी रखें। वैवाहिक जीवन में ये राहु कुछ परेशानी ला सकता है। आपसी मतभेद की वज़ह से मानसिक तनाव बना रहेगा। आप जहां नौकरी करते है वहां साथ काम कर रहे सहयोगियों के साथ तनाव हो सकता है। किसी को अपना ज्यादा नज़दीकी न समझें और न ही उनसे कोई मन की बात करें। व्यवसाय में उतार-चढ़ाव बना रहेगा और आप उत्साह और जोश के साथ आगे बढ़ेंगे। सितम्बर माह में राहु का गोचर पंचम भाव में होने से सोच में भ्रम सा महसूस करेंगे और निर्णय लेने में खुद को कमज़ोर महसूस करेंगे। संतान के साथ किसी ग़लतफ़हमी की वज़ह से तनाव हो सकता है। 

कुंभ :~ ग, स, श, ष :  आपकी राशि कुम्भ से राहु गोचर 2020 पंचम भाव में हो रहा है। इस वज़ह से शिक्षा में विघ्न आ सकता है। इस समय में किसी भी विषय में बदलाव के बारे में न सोचे। संतान की सेहत का ध्यान रखें और उनकी शिक्षा का विशेष रुप से ध्यान रखें। इस गोचर के दौरान आपको नकारात्मक विचारों का सामना करना पड़ सकता है। इस वज़ह से मानसिक तनाव भी बना रहेगा। इस साल किसी मित्र से आपकी अनबन हो सकती है और धन को लेकर भी वाद- विवाद हो सकता है। वैवाहिक जीवन में किसी तीसरे की वज़ह से आपस में तनाव हो सकता है और शक की भावना आ सकती है। व्यवसाय में नई शुरुआत होने के साथ जो प्रोजेक्ट मिलेंगे उसको आप बहुत ही उत्साह से करेंगे और तरक्की भी मिलेगी। कार्य-क्षेत्र में आत्मविश्वास बना रहेगा। नौकरी में भी वेतन बढ़ने से आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी। सितम्बर ले बाद राहु का गोचर आपके चतुर्थ भाव में होगा जिससे पारिवारिक जीवन से थोड़ी असंतुष्टि हो सकती है और आपको अति व्यस्तता के चलते परिवार से दूर जाना पड़ सकता है। ऐसे में अपने परिवार को अपना पूरा समय दें जिससे आप के बीच में प्रेम बना रहे। 

मीन :~ द, च :  मीन राशि में राहु का गोचर चतुर्थ भाव में बना हुआ है। जिस वज़ह से मानसिक परेशानी के साथ माता से भी किसी ग़लतफ़हमी की वज़ह से मतभेद हो सकता है। कार्य से जुड़ी छोटी छोटी यात्रा का योग बना हुआ है। साथ ही कुछ ऐसे खर्चे भी होंगे जिनको आप समझ नहीं पाएंगे। वैवाहिक जीवन में आर्थिक स्थिति खराब होने की वज़ह से भी आपसी मतभेद हो सकता है। व्यवसाय में कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना हो तो बहुत ही सोच समझकर लें। जल्दबाज़ी में कोई नया काम न करें और न ही निवेश करें। आप जिस से प्रेम करते हैं, उनके साथ आपका समय रोमांस से भरा रहेगा और आपसी रिश्ते भी मज़बूत होंगे। सितम्बर से यही राहु मीन राशि से तीसरे भाव में गोचर करेगा। राहु का यह गोचर आपकी सभी परेशानी दूर करेगा और उत्साह व आत्मबल बढ़ाएगा। यह समय नया काम करने के लिए भी उत्तम रहेगा। ये था राहु गोचर 2020 के अनुसार मीन राशि का राशिफल।

लग्न से जानिए शरीर के रोग-रखें सावधानी और परहेज



 जन्मकुंडली का छठा (6) और ग्यारहवाँ (11) भाव रोग के भाव माने जाते है यानि इन भावों से हमें होने वाले रोगों की संभावित जानकारी मिल सकती है। यदि इन भाव के स्वामी अच्छी स्थिति में हो तो रोग का निदान हो जाता है या रोग होने की संभावना घट जाती है मगर यदि इन भावों के स्वामी खराब स्थिति में हो तो रोग भयंकर रूप लेते हैं और उनका निदान होना कठिन हो जाता है।

 ऐसे में यदि बचपन से ही इस बारे में सावधानी और परहेज रखा जाए तो इनसे बचा जा सकता है।

 *मेष लग्न* के लिए एलर्जी, त्वचा रोग, सफेद दाग, स्पीच डिसऑर्डर, नर्वस सिस्टम की तकलीफ आदि रोग संभावित हो सकते हैं।

*वृषभ लग्न* के लिए हार्मोनल प्रॉब्लम, मूत्र विकार, कफ की अधिकता, पेट व लीवर की तकलीफ और कानों की तकलीफ सामान्य रोग है।

*मिथुन लग्न* के लिए रक्तचाप (लो या हाई), चोट-चपेट का भय, फोड़े-फुँसी, ह्रदय की तकलीफ संभावित होती है।

 *कर्क लग्न* के लिए पेट के रोग, लीवर की खराबी, मति भ्रष्ट होना, कफजन्य रोग होने की संभावना होती है।

*सिंह लग्न* के लिए मानसिक तनाव से उत्पन्न परेशानियाँ, चोट-चपेट का भय, ब्रेन में तकलीफ, एलर्जी, वाणी के दोष आदि परेशानी देते हैं।

*कन्या लग्न* के लिए सिरदर्द, कफ की तकलीफ, ज्वर, इन्फेक्शन, शरीर के दर्द और वजन बढ़ाने की समस्या रहती है।

*तुला लग्न* के लिए कान की तकलीफ, कफजन्य रोग, सिर दर्द, पेट की तकलीफ, पैरों में दर्द आदि बने रहते हैं।

*वृश्चिक लग्न* के लिए रक्तचाप, थॉयराइड, एलर्जी, फोड़े-फुँसी, सिर दर्द आदि की समस्या हो सकती हैं।

*धनु लग्न* के लिए मूत्र विकार, हार्मोनल प्रॉब्लम, मधुमेह, कफजन्य रोग व एलर्जी की संभावना होती है।

*मकर लग्न* के लिए पेट की तकलीफ, वोकल-कॉड की तकलीफ, दुर्घटना भय, पैरों में तकलीफ, रक्तचाप, नर्वस सिस्टम से संबंधित परेशानियाँ हो सकती हैं।

*कुंभ लग्न* के लिए कफजन्य रोग, दाँत और कानों की समस्या, पेट के विकार, वजन बढ़ना, ज्वर आदि की संभावना हो सकती है।

 *मीन लग्न* के लिए आँखों की समस्या, सिर दर्द, मानसिक समस्या, कमर दर्द, आलस्य आदि की समस्या बनी रह सकती है।

 विशेष : यदि 6 या 11 के स्वामी हानि देने वाली स्थिति में हो तो शुरू से ही उनके मन्त्रों का जाप करना चाहिए। खान-पान की सावधानी रखना चाहिए और संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। इन ग्रहों के रत्न भूल कर भी न पहनें।

                       

क्यों की जाती है गणेश-लक्ष्‍मी की पूजा एक साथ?


कोई भी शुभ कार्य गणेश पूजन के बगैर कभी पूरा नहीं होता। गणेश जी बुद्धि प्रदान करते हैं। वे विघ्न विनाशक और विघ्नेश्वर हैं। यदि व्यक्ति के पास खूब धन-सम्पदा है और बुद्धि का अभाव है तो वह उसका सदुपयोग नहीं कर पायेगा।

इसलिए व्यक्ति का बुद्धिमान और विवेकी होना भी आवश्यक है। तभी धन के महत्व को समझा जा सकता है। गणेश लक्ष्मी की एक साथ पूजा के महत्त्व को कई कहानियों के माध्यम से बताया गया है। आइये जाने ऐसी ही कहानी।

शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। जिसकी वजह से लक्ष्मी जी को इसका अभिमान हो जाता है। विष्णु जी इस अभिमान को खत्म करना चाहते थे इसलिए उन्हों ने लक्ष्मी जी से कहा कि स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती है जब तक वह माँ ना बन जाये। 

लक्ष्मी जी के कोई पुत्र नहीं था, इसलिए यह सुन के वे बहुत निराश हो गयी। तब वे देवी पार्वती के पास गयी मदद मांगने के लिए।

पार्वती जी को दो पुत्र थे इसलिए लक्ष्मी जी ने उनसे एक पुत्र को गोद लेने को कहा। पार्वती जी जानती थी कि लक्ष्मी जी एक स्थान पर लंबे समय नहीं रहती हैं। 

इसलिए वे बच्चे की देख भाल नहीं कर पाएंगी। लेकिन उनके दर्द को समझते हुए उन्होंने अपने पुत्र गणेश को उन्हें सौप दिया।

इससे लक्ष्मी जो बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने कहा कि वे गणेश का बहुत ध्यान रखेंगी। और जो सुख और समृद्धि के लिए लक्ष्मी जी का पूजन करते हैं उन्हें उनसे पहले गणेश जी की पूजा करनी पड़ेगी, तभी मेरी पूजा संपन्न होगी।

💚 बुध का गोचर 💚

बुध गोचर

💚 तुला राशि में  बुध का गोचर  22 सितंबर  2020 💚 

मैं डॉ अशोक श्रीश्रीमाल  12 राशी का फलादेश प्रस्तुत करता हू ।

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, व्यापार और वाणी का कारक माना गया है। यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। इसे कन्या राशि में उच्च का माना जाता है और मीन राशि में नीच का। इस ग्रह के बारे में खास बात यह है कि यह अपनी राशि कन्या में ही उच्च भी होता है और यही उसकी मूल त्रिकोण राशि भी है। अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र बुध के नक्षत्र हैं। नवग्रह मंडल में बुध को राजकुमार का दर्जा दिया गया है और जिस प्रकार एक राजकुमार सीखने की आयु में होता है उसी प्रकार बुध का स्वभाव है अर्थात यह स्वभाविक रुप से बुद्धि का परिचायक है जो हमें नई-नई चीजें सीखने के लिए जिज्ञासु बनाता है। इसके साथ ही संगति के असर के रूप में ये अति शुभ ग्रहों के साथ युति करें या संबंध बनाए तो शुभ फल तथा अशुभ ग्रहों से संयोग होने पर अशुभ फल देता है। बुध ग्रह वात, पित्त और कफ़ त्रिदोष उत्पन्न करने की सामर्थ्य रखता है और दिन और रात सर्वदा बली रहता है। बुध के वक्री होने से सामान्यता कुछ कार्यों में विलंब होता है और सफलता के लिए प्रयास थोड़े अधिक करने पड़ते हैं। लेकिन बुध वक्री अवस्था में अधिक अच्छे फल भी देता है और व्यापार तथा वाणिज्य में अच्छा फल प्रदान करता है। कोई भी ग्रह अपनी महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा में सर्वाधिक प्रभावशाली होता है और यदि उसे अनुकूल गोचर प्राप्त हो जाए तो फल पूर्णतया प्राप्त होते हैं। तो आइए अब विस्तार से जानते हैं बुध के इस गोचर का सभी राशियों पर क्या प्रभाव होगा। 💚

गोचर काल का समय
22 सितंबर 2020 को बुध ग्रह का गोचर तुला राशि में होगा। बुध देव 16:55 बजे कन्या राशि से निकलकर तुला में प्रवेश कर जाएंगे और 14 अक्टूबर को वक्री होते हुए इसी राशि में 6:32 बजे तक रहेंगे। इसके बाद 3 नवंबर को बुध देव इसी राशि में मार्गी गति प्रारंभ करेंगे और 28 नवंबर 07 बजकर 04 मिनट पर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। हालांकि नीचे दिया गया राशिफल केवल बुध में तुला राशि के गोचर का है।

मेष :~ अ, ल, इ :  
 बुध ग्रह का गोचर आपकी राशि से सप्तम भाव में होगा। इस भाव से जीवन में होने वाली साझेदारियों और जीवनसाथी के बारे में विचार किया जाता है। इस भाव में बुध की स्थिति आपके जीवन में चुनौतियां ला सकती है। पारिवारिक जीवन की बात की जाए तो घर के सदस्यों के साथ आपके मतभेद हो सकते हैं। ऐसे में आपको गुस्से पर काबू रखकर बातों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।
वहीं दांपत्य जीवन में भी उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। इस गोचर के दौरान आपको किसी पुरानी बात को लेकर बहस करने से बचना चाहिए। जितना हो सके जीवनसाथी के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करें। आर्थिक पक्ष को लेकर भी आपको सतर्क रहने की जरुरत है, अपने खर्चों पर ध्यान दें और कर्ज लेने या देने से बचें। धन की बचत करने के लिए आपको अच्छा बजट प्लान बनाना चाहिए।
इस राशि के जो जातक साझेदारी में बिजनेस करते हैं उन्हें गोचर काल के दौरान बहुत संभलकर रहने की जरुरत है। अपने साझेदार की गतिविधियों पर नजर बनाए रखें। जो जातक नया बिजनेस करने का प्लान बना रहे थे उन्हें कुछ समय के लिए इस विचार को स्थगित कर देना चाहिए। मेष राशि के जातकों को अपने स्वास्थ्य का भी इस दौरान विशेष ध्यान रखना होगा, खुद को फिट रखने के लिए पौष्टिक भोजन करें।
 
वृषभ :~ ब, व, उ:   आपके द्वितीय और पंचम भाव के स्वामी बुध का गोचर आपके षष्ठम भाव में होगा। इस भाव से रोग, ऋण, विवाद, अभाव आदि के बारे में विचार किया जाता है। वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह का यह गोचर शुभफलदायी साबित होगा। इस राशि के विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में इस दौरान शुभ फलों की प्राप्ति होगी। अपनी बुद्धि के दम पर सहपाठियों के बीच अलग जगह बना सकते हैं। किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो उसमें सफलता मिलने की भी आपको संभावना है। कार्यक्षेत्र में इस दौरान आप अपने प्रतिद्वंदियों पर हावी रह सकते हैं। वाद-विवाद की स्थिति में आपकी विजय होगी। आपके प्रेम जीवन पर नजर डालें तो इस समय लवमेट के साथ आपका सामंजस्य अच्छा रहेगा। किसी बात को लेकर यदि आप दोनों के बीच दूरी आयी थी तो वो भी इस दौरान दूर हो जाएगी। सामाजिक स्तर पर आपका मान-सम्मान इस दौरान बढ़ेगा। दांपत्य जीवन में संतान के चलते खुशियां आ सकती हैं, आपकी संतान को इस दौरान तरक्की मिलने की पूरी संभावना है। आर्थिक पक्ष पर नजर डालें तो इस समय काल में आप कर्जों से मुक्ति पा सकते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो बुध का यह गोचर वृषभ राशि के जातकों की कई परेशानियों को दूर करने वाला साबित हो सकता है। 

मिथुन :~  क, छ, घ: मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह का गोचर उनके पंचम भाव में होगा। पंचम भाव से बुद्धि, संतान, प्रेम जीवन आदि के बारे में विचार किया जाता है। बुध की पंचम भाव में स्थिति दर्शाती है कि इस दौरान आपके परिवार का माहौल सुखद रहेगा। घर के छोटे सदस्यों के साथ इस समय आप काफी वक्त बिताएंगे और अपनी सारी चिंताओं को भूल जाएंगे। अपने कामों को संजीदगी के साथ करना आपको पसंद आएगा जिसके कारण जीवन में सकारात्मकता बनी रहेगी। सामाजिक स्तर की बात की जाए तो अपने करीबी मित्रों के साथ समय बिताने का आपको मौका मिल सकता है। वहीं इस राशि के जातक मनोरंजन के साधनों पर भी खर्च करने से इस दौरान नहीं कतराएंगे। हालांकि अपने बजट के हिसाब से ही खर्च करने की आपको सलाह दी जाती है। यदि आप सट्टेबाजी करते हैं तो फायदा मिल सकता है लेकिन ऐसे काम ना ही करें तो आपके लिए बेहतर रहेगा। एक बार मुनाफा पाकर ऐसे कामों में आप कई बार नुक्सान भी उठा सकते हैं। इस राशि के विद्यार्थियों को भी बुध के इस गोचर का लाभ प्राप्त होगा और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलने की पूरी संभावना है। 

कर्क :~ ड, ह : 
बुध देव आपके द्वादश और तृतीय भाव के स्वामी हैं। गोचर काल के दौरान बुध देव आपके चतुर्थ भाव में स्थित रहेंगे। इस भाव से माता, सुख, वाहन आदि के बारे में विचार किया जाता है। बुध के चतुर्थ भाव में होने के कारण आपके पारिवारिक जीवन में शांति बनी रहेगी। माता के साथ इस दौरान आप अच्छा वक्त बिता सकते हैं, माता का स्नेह आपको मानसिक शांति देगा। वहीं जो जातक घर से दूर रहकर नौकरी करते हैं या पढ़ाई करते हैं, इस गोचर काल के दौरान वो घर आ सकते हैं। वहीं नौकरी पेशा लोगों की बात की जाए तो आमदनी में वृद्धि होने के इस समय पूरे आसार हैं, हालांकि बावजूद इसके भी आपको आर्थिक चिंताएं बनी रहेंगी। इस राशि के विद्यार्थियों का ध्यान इस अवधि में पढ़ाई से भटक सकता है, आप दोस्तों के साथ ज्यादा वक्त बिता सकते हैं और सोशल मीडिया पर अपना कीमती समय बर्बाद कर सकते हैं। विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है की अपने कीमती समय को बर्बाद न करें और टाइम-टेबल के हिसाब से पढ़ाई करें। इस राशि के जातकों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं इस दौरान हो सकती हैं। अपनी सेहत को दुरुस्त बनाए रखने के लिए आपको नियमित व्यायाम करना चाहिए और संतुलित भोजन खाना चाहिए। 

सिंह :~ म, ट : 
सिंह राशि के जातकों के तृतीय भाव में बुध ग्रह का गोचर होगा। इस भाव को पराक्रम भाव भी कहा जाता है और इससे भाई-बहनों से आपके संबंध, साहस, लेखन आदि के बारे में भी विचार किया जाता है। इस भाव में बुध के गोचर से छोटे भाई-बहनों के साथ आपके संबंध सुधरेंगे, आप उनकी मदद करने के लिए आगे आएंगे और वो भी हर परिस्थिति में आपका साथ देंगे। पारिवारिक जीवन सामान्य रहेगा घरवालों के बीच मेलजोल बना रहेगा। घर के अच्छे माहौल के कारण जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी आप अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे। सामाजिक स्तर पर आपको अपने मित्रों या करीबियों से फायदा मिल सकता है। आपके आर्थिक पक्ष पर नजर डालें तो, पैसों से जुड़े लेन-देन को लेकर आपको विशेष रुप से सावधान रहना होगा। आपकी एक छोटी सी गलती भी आपका बड़ा घाटा करवा सकती है। इस राशि के कुछ जातक इस दौरान अनजाने भय से ग्रसित हो सकते हैं, जिसके चलते मानसिक तनाव भी हो सकता है। ऐसे में आपको ध्यान-योग का सहारा लेकर अपने मन मस्तिष्क को संतुलित करना चाहिए। 

कन्या :~ प, ठ, ण  
बुध ग्रह कन्या राशि के लग्न भाव का स्वामी है और तुला राशि में गोचर काल के दौरान द्वितीय भाव में विराजमान रहेगा। द्वितीय भाव आपके परिवार, वाणी और संपत्ति का होता है। इस भाव में बुध की स्थिति से पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा। घर के प्रत्येक सदस्य का आप ख्याल रखेंगे और उनकी जरुरतों पर खर्च करने से भी नहीं कतराएंगे। सामाजिक स्तर पर भी आपका प्रभाव पड़ेगा, अपनी वाणी के दम पर आप लोगों को प्रभावित करने में सफल होंगे। इस राशि के जो जातक कारोबार करते हैं उन्हें अतीत की योजनाओं से लाभ होने की पूरी संभावना है। आपकी मेहनत का अच्छा फल बुध के इस गोचर के दौरान आपको मिलेगा। इस राशि के विद्यार्थी अपने तर्कों से गुरुजनों और सहपाठियों को प्रभावित कर सकते हैं। कठिन विषयों को समझने में भी इस गोचर के दौरान आप समर्थ होंगे। यदि आप नौकरी पेशा हैं और कार्यक्षेत्र में किसी उच्च पद पर आसीन हैं तो आपको अपने अधिनस्थ काम करने वाले लोगों की बातों पर भी गौर करना चाहिए और उनकी जरुरतों का ख्याल रखना चाहिए। 

तुला :~ र, त : तुला राशि के जातकों के लग्न भाव में बुध ग्रह का गोचर होगा। लग्न भाव से आपके स्वास्थ्य, चरित्र, बुद्धि, सौभाग्य आदि के बारे में विचार किया जाता है। इस भाव में बुध के गोचर से इस राशि के कारोबारियों को दिक्कतों का सामना करना प़ड़ सकता है। यदि आप अपने कारोबार को फैलाने का विचार बना रहे थे तो किसी वजह से वह स्थगित हो सकता है। इस राशि के विद्यार्थी भी भविष्य को लेकर इस दौरान उलझन में देखे जा सकते हैं। अपनी उलझनों का सही हल पाने के लिए आपको अपने गुरुजनों या माता-पिता से बात करनी चाहिए। जल्दबाजी में कोई भी फैसला ना ही लें तो बेहतर। सामाजिक स्तर पर भी इस राशि के लोगों को सावधान होकर चलने की जरुरत है, जितना हो कम बोलें और वाद-विवाद की स्थिति से दूर रहें। आपकी कही कोई बात किसी को दुख दे सकती है। बुध के गोचर काल के दौरान आपको अपने व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने की जरुरत है। इसके लिए अच्छे लोगों की संगति में रहें और अच्छी पुस्तकें पढ़ें। इस राशि के नौकरी पेशा लोगों को इस गोचर के दौरान किस्मत का साथ मिलेगा जिसके चलते कार्यक्षेत्र में उन्हें अच्छे फलों की प्राप्ति होगी। 

वृश्चिक :~ न, य : बुध ग्रह का गोचर आपकी राशि से द्वादश भाव में होगा। इस भाव को हानि भाव भी कहा जाता है और इससे आपके व्यय, अलगाव, कमज़ोरी आदि के बारे में भी विचार किया जाता है। बुध का यह गोचर आपके जीवन में आर्थिक चुनौतियां लेकर आ सकता है। आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है जिसके कारण आप मानसिक तनाव में भी आ सकते हैं। धन की बचत के लिए अगर आप अच्छा बजट प्लान बना लेते हैं तो आप बचत करने में सक्षम हो सकते हैं। जो लोग विदेशों से जुड़ा व्यापार करते हैं या किसी विदेशी कंपनी में काम करते हैं उनके लिए यह गोचर अच्छा रह सकता है, लाभ मिलने की पूरी संभावना है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी बुध का यह गोचर आपके लिए बहुत शुभ नहीं है। इस दौरान आपको अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए। अपनी दिनचर्या में व्यायाम को जगह दें। 

धनु :~ भ, ध,फ :   धनु राशि के जातकों के एकादश भाव में बुध ग्रह का गोचर होगा। इस भाव को लाभ भाव कहा जाता है और बुध के इस भाव में स्थित होने से धनु राशि के जातकों को भी लाभ पहुँचेगा। आपके जीवन के विभिन्न पक्षों में इस दौरान सकारात्मक बदलाव देखे जा सकते हैं। जो जातक नौकरी पेशा से जुड़े हैं उनको कार्यक्षेत्र में अपने काम के अच्छे फल मिलेंगे। इस दौरान इस राशि के कुछ जातकों को कार्यक्षेत्र में पदोन्नति मिल सकती है साथ ही आमदनी में वृद्धि की भी संभावना है। पैसे का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए इसके बारे में भी आप विचार कर सकते हैं। आपके साथ-साथ आपके जीवनसाथी को भी उनके कार्यक्षेत्र में लाभ मिल सकता है। इसके साथ ही इस राशि के लोगों को उच्च अधिकारियों का सहयोग भी प्राप्त होगा, जिससे नई चीजें सीखने का मौका मिलेगा। पारिवारिक जीवन पर नजर डालें तो बड़े भाई-बहनों के साथ आपके संबंध सुधरेंगे जिससे परिवार का माहौल बेहतर होता जाएगा। सामाजिक स्तर पर आप अपने मित्रों के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं। इस राशि के जो जातक किसी बीमारी से लंबे समय से पीड़ित थे उन्हें बुध के इस गोचर के दौरान आराम मिल सकता है। 

मकर :~ ख, ज :  मकर राशि के जातकों के दशम भाव में बुध ग्रह का गोचर होगा। इस भाव को कर्म भाव भी कहा जाता है और इससे आपके कार्यक्षेत्र, नेतृत्व क्षमता आदि के बारे में विचार किया जाता है। चूंकि इस भाव से आपके कर्म और कर्मक्षेत्र पर विचार किया जाता है इसलिए बुध के इस भाव में गोचर के दौरान आपको अपने कर्मक्षेत्र में सफलता मिलेगी। यदि आप लंबे समय से किसी संस्था से जुड़े हैं तो इस दौरान आपकी पदोन्नति हो सकती है। वहीं इस राशि के व्यापारियों को भी लाभ होने की संभावना है, अपनी अधूरी योजनाओं को इस समय आप पूरा कर सकते हैं। यदि कारोबार को फैलाना चाहते हैं तो यह समय आपके लिए अच्छा रहेगा। इस राशि के लोगों को जीवन को बेहतर बनाने के कई नए अवसर इस दौरान मिल सकते हैं, आपको बस सतर्क रहना है और सही समय पर सही कदम उठाना है। इस राशि के विद्यार्थियों के लिए यह समय अनुकूल नजर आ रहा है, शिक्षा के क्षेत्र में आपको उपलब्धि मिल सकती है। आपकी एकाग्रता में इस दौरान वृद्धि होगी और कठिन विषयों को समझ पाने में भी आप कामयाब होंगे। परिवार का माहौल सुखद रहेगा, हालांकि अपने गुस्से पर काबू रखने की आपको जरुरत है। बाहर का तला-भुना भोजन खाने से बचेंगे तो स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। 

कुंभ :~ ग, स, श, ष:  शनि के स्वामित्व वाली कुंभ राशि के जातकों के नवम भाव में बुध ग्रह का गोचर होगा। इस भाव से हम भाग्य, धर्म-कर्म, यात्राओं आदि के बारे में विचार करते हैं। बुध का यह गोचर कुंभ राशि के जातकों के लिए कई मायनों में अच्छा रहेगा। इस दौरान आप मानसिक शांति पाने के लिए धर्म-कर्म के काम करेंगे और आध्यात्मिक विषयों में भी रुचि लेंगे। आध्यात्म से जुड़ी पुस्तकों का भी आप अध्ययन इस दौरान कर सकते हैं, इसके साथ ही कुछ जातक योग आदि करने में भी रुचि लेंगे। पारिवारिक जीवन में भी संतुलन बनाने की आप पूरी कोशिश करेंगे, इस अवधि में आप परिवार के साथ धार्मिक यात्रा पर भी जा सकते हैं। इस राशि के शिक्षार्थियों के लिए भी बुध का यह गोचर अच्छा रहेगा, आपकी तार्किक क्षमता बढ़ेगी, गणित, विज्ञान जैसे विषयों में आप अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे। इस राशि के जो जातक बेरोजगार हैं इस दौरान भाग्य उनका साथ दे सकता है और किसी अच्छी जगह उनकी नौकरी लग सकती है। वहीं कारोबारियों के लिए भी यह गोचर अनुकूल रहेगा, यदि आप काम के सिलसिले में यात्रा करते हैं तो लाभ मिलने की पूरी संभावना है।  

मीन :~ द, च* :  मीन राशि के जातकों के अष्टम भाव में बुध ग्रह का गोचर होगा। यह भाव आयु का भाव कहा जाता है और इससे आपके जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव, रुकावट, गूढ़ विद्या आदि के बारे में विचार किया जाता है। मीन राशि के जातकों के लिए बुध का यह गोचर चुनौतीपूर्ण रह सकता है। कार्यक्षेत्र में आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है आपको किसी झूठे मामले में फंसाया जा सकता है, क्योंकि आपके दुश्मन इस दौरान सक्रिय रहेंगे। इस अवधि में आपको बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है। हालांकि आप आध्यात्मिकता की तरफ बढ़ें और योग-ध्यान का सहारा लें तो इस गोचर में अनुकूल फल भी प्राप्त कर सकते हैं। आध्यात्मिक उन्नति के मौके आपको प्राप्त होंगे। इस राशि के जो जातक किसी शोध कार्य में लगे हैं उनके लिए यह गोचर अच्छा रह सकता है, आपके शोध को नई गति मिल सकती है। इस राशि के जो लोग वाहन चलाते हैं उन्हें सावधान रहने की जरुरत है, सिर्फ आपकी ही नहीं किसी अन्य की वजह से भी आप किसी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। मीन राशि के जातकों को अपने स्वास्थ्य पर भी इस दौरान विशेष ध्यान देने की जरुरत है। अपने खान पान पर ध्यान दें, पेट को दुरुस्त रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें, समय पर सोयें और उठें। 

बुध के अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय

💚👉1. बुध ग्रह से जुड़ी सामग्रियों जैसे- हरा वस्त्र, साबुत मूंग, हरे फल, कांसा, हाथी दांत, घी और पन्ना आदि का बुधवार के दिन दान करें।
💚👉2. किन्नरों को बुधवार के दिन हरी चूड़ियां दान करें।
💚👉3. बुधवार के दिन तोते को पिंजरे से मुक्त करें।
💚👉4. पढ़ाई के लिए किसी विद्यार्थी को धर्मशास्त्र की पुस्तकें प्रदान करें।
💚👉5. बहते जल में 250 ग्राम साबुत मूंग प्रवाहित करें।

 वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को शुभ ग्रह माना गया है। 
💚👉बुध तर्क शक्ति, गणित, संचार, लेखन, व्यापार, वाणी और बुद्धि का कारक होता है। 
💚👉बुध स्वभाव से युवा और सात्विक ग्रह है। 
💚👉बुध ग्रह सर्वदा बलि होता है। 
💚👉बुध अच्छे ग्रहों के साथ शुभ फल देता है लेकिन क्रूर ग्रह का साथ मिलने पर बुरा फल देता है। 
💚👉बुध ग्रह त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ का कारक भी होता है। 
💚👉बुध मिथुन एवं कन्या राशि का स्वामी होता है। 
💚👉बुध कन्या राशि में यह उच्च भाव में रहता है। 
💚👉बुध मीन राशि में नीच भाव में स्थित होता है। 
💚👉बुध ग्रह प्रमुख रूप से बुद्धि, तर्क शक्ति, गणित, व्यापार और चेतना आदि का कारक कहा जाता है। 
💚👉बुध शुक्र और शनि के मित्र हैं 
💚👉बुध मंगल और चंद्रमा से शत्रुवत व्यवहार रखता है।  
💚👉बुध रंगों में हरा रंग और रत्नों में पन्ना बुध की प्रिय वस्तु है। 
💚👉बुध के प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है।
💚👉बुध ग्रह सूर्य से युति करके बुधादित्य योग का निर्माण करता है।