ऐसे व्यक्ति दृढ़ निश्चयी , वचन के पक्के , काम को धून से पूरा करने वाले , स्वस्थ , सदाचारी , सुखी होते हैं । जिस काम का बीड़ा उठा ले उसे पूरा करके ही चैन लेते हैं । काम को शीघ्र समयबद्ध पद्धति से पूरा करना इनका गुण होता है
कम खाने वाले होते हैं । इनका शरीर स्वस्थ होता है । साथ ही यह लोग प्रेम करने में बड़े प्रबल विदग्ध लोगों के समान आचरण करने वाले और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं
इनका स्वभाव कुछ ऐसा होता है कि यह अपने व्यवहार से कुछ बदनाम भी होते हैं और मनोविनोद के कामों में इनका मन अधिक रमता है । इनकी प्राकृतिक में शीघ्र सफलता पाने की लालसा रहती है । यह लोग प्रायः पानी से डरते हैं । सुरा सुंदरी के प्रयोग से भी इन्हें परहेज नहीं होता है ।
भरनी नक्षत्र पर कुप्रभाव हो तो जातक झूठ बोलने वाला , सध्या पर दृष्टि रखने वाला , साधनों को पवित्रता पर कम ध्यान देने वाला , कई पुत्रों का पिता व दूसरों के धन निकलवाने में माहिर होते हैं । व्यवहार से यह शत्रु भी अधिक बना लेते हैं । ( पराशर )
बलवान् , शत्रुओं पर अचानक आक्रमण करने वाला , चालाक , धार्मिक कार्यों में रुचि रखनेवाला , चित्रकार , धोखेबाज़ , निम्न स्तर के कार्य करने वाला तथा उन्नति का आकांक्षी ।
👉 प्रथम चरण हो तो हाथी के समान छोटी व मदमाती आँखें , मोटी विशाल नाक , हाथी के समान दोनों ओर से उभारयुक्त सिर , ऊपरी धड़ में अपेक्षाकृत भारीपन , मोटी व भरी हुई भौहें , पतले बाल , शरीर के रोम मोटे व खुरदरे होते हैं । कभी - कभी सिर पर बाल भी कम अर्थात् कम घने होते हैं ।
👉 द्वितीय चरण में सांवली रंगत , कोमल शरीर , हिरण के समान तरल सी आँखें , शरीर में भारीपन , कमर में बेल्ट की जगह पर लटकते मांस ( कुल्ले ) का अभाव , मजबूत छाती व मजबूत पैर , लटकता सा पेट , लटकते ढलवां कन्धे , अधिक बोलने की आदत , स्वभाव से डरपोक होता है ।
👉 तृतीय चरण में चपल शरीर , सफेद सी पुतलियाँ , शक्ल से निर्दय व कठोर , बड़ा लम्बा चौड़ा शरीर , स्त्रियों के साथ सम्पर्क बनाने वाला , कुछ लोभी , चंचल स्त्री का पति होता है ।
👉 चतुर्थ चरण में बन्दर के समान मुखाकृति वाला , बालों व रोमों में भूरापन , हिंसक स्वभाव , झूठ बोलने की आदत , अधिक बोलना , दोस्ती निभाने वाला , गुप्त रोगी अर्थात् गुप्तांगों के किसी रोग से पीड़ित होता है ।
💢 कुंडली में विराजमान ग्रहों के कारण हो सकता है उपरोक्त फलादेश पूर्णत: मिलान ना करे । क्योंकि नक्षत्र , लग्न एवं ग्रहों के प्रभाव को मिलाने के बाद ही आखरी फलादेश होता है ।