अश्विनी नक्षत्र में उत्पन्न व्यक्ति स्वरूप सुंदर बड़ी आंखों वाला आंखों में विशेष चमक वाला आकर्षक व्यक्तित्व चौड़ा माथा माथे पर उधार गौर वर्ण चमकीली त्वचा सजने सवरने का शौकीन स्त्रियों के आकर्षण का केंद्र सुंदर व सुरुचिपूर्ण वस्त्र आभूषण पहनने वाला बुद्धिमान सब कार्य में दक्षता से शीघ्र निपटाने वाला बातों से प्रभावित करने वाला बुद्धिमान सुखी दृढ़ निश्चय सत्यवादी निरोगी होता है यह लोग प्रायः विशेष बुद्धिमान होते हैं सुनना सुनकर समझ ना उस पर अमल करना स्वयं विचार करके तथ्य क्वेश्चन करना यह सब गुण में होते हैं
इन लोगों की चाल भी तेज होती है यह प्रायः राजकीय नौकरी में हो तो सरकार इनसे विशेष प्रसन्न होती है तथा अपने रोजगार में हो तो बड़े लोगों के से संपर्क बनाना इन का शौक होता है यह प्राइस नफासत पसंद होते हैं अपने ग्राहकों में से विशेष शैली केदार लोगों को ही यह विशेष पसंद करते हैं अपने मान सम्मान का विशेष ख्याल रखते हैं अन्याय के विरुद्ध बुलंद आवाज उठाते हैं अतः यह प्रायः सूर्य व निडर भी होते हैं इन लोगों को जड़ी-बूटियों प्राकृतिक चिकित्सा व परंपरागत चिकित्सा पद्धति में विशेष रूचि होती है ।
विचारशील अध्ययन अध्यापन करने वाला ज्योतिष वेदक आदि शास्त्रों में रुचि रखने वाला लेखक इमानदार चंचल प्राकृती मस्से का रोगी और गृहकला प्रिय।
👉 लग्न या चंद्र अश्वनी के प्रथम चरण में पढ़ता हो तो व्यक्ति बकरे के सामान लंबोतरे मुख वाला कनपटी उभरी हुईं नाक छोटे मझोले सामान या छोटे हाथ भारी आवाज साधारण नैन नक्श छोटी या मुंदी सी आंखें , आंखें सिकुड़ने की आदत शरीर से पतला होता है ।
👉 अश्वनी का द्वितीय चरण हो तो भारी मांसल कंधे , भरी हुई भुजाएं , लंबोदरा मुंह नाक पर कुछ सांवलापन पैरों के टखनों पर पतलापन छोटा माथा दबी हुई अर्थात मांस में ढकी हुई हंसुली बड़ी साफ आंखें कोमल आवाज होती है ।
👉तृतीय चरण हो तो उड़ते हुए बाल आंशिक गंजापन गोरा रंग शरीर से भुजाएं थोड़ा हटाकर चलने की आदत सुंदर व सुगम आंखें वह नाक बोलने में कुशल पतले घुटने अर्थात घुटनों पर कम मांस व पतली जांघें होती है ।
👉चतुर्थ चरण में हो तो आंखें अस्थिर भ्रमित सी दृष्टि चकित नजरों से सब और देखना आंखों से दबंग व रौब, छोटी नाक पैरों में भद्दापन , पैरों में जूते से बनने वाली गांठ एड़ी में सख्ती , बालों में खुरदरापन प्रायः मांस से रहित पतला शरीर धनिया जैसी वेशभूषा व आदतें होती है
💢 कुंडली में विराजमान ग्रहों के कारण हो सकता है उपरोक्त फलादेश पूर्णत: मिलान ना करे । क्योंकि नक्षत्र , लग्न एवं ग्रहों के प्रभाव को मिलाने के बाद ही आखरी फलादेश होता है।