आजकल पितृ पक्ष चल रहे है जिसमे तर्पण से संबंधित जानकारी भी दी जा रही है में उसमे कुछ और शामिल कर रहा हु। आप स्वयं ओर यदि आपके भाई भी साथ मे है तो सभी भाई बंधु मिलकर ये कार्य करे यदि अकेले है तो स्वयं करे।
आप एक बाल्टी में स्वच्छ जल भर ले उसमे संभव हो तो थोड़ा गंगा जल डाल लें और काले तिल डाल लें। जनेउ पहनते है तो उसे बाए कंधे पर कर के हाथ मे कुश की कुशपेटी बना ले एक प्रकार की मुद्रिका जो अनामिका में पहन लें और एक कुश अंगूठे में दबाकर अंगूठे को थोड़ा तिरछा दाहिनी तरफ झुका ले जिससे जल कुश के जरिये धार बनाकर गिरे।
सबसे पहले ईश्वर से प्रार्थना करें कि है प्रभु में आज पितृ पक्ष पर अपने पूर्वजो के निमित्त तर्पण कर रहा हु वो जहाँ भी हो जिस रूप में उन्हें ये स्वीकार हो और उनका शुभ आशीष मुझे परिवार सहित प्राप्त हो।
सर्वप्रथम अपने नाना नानी से आरंभ कर फिर कम से कम 3 पीढ़ी तक के पूर्वजो को ध्यान कर ओर अंत मे उन पितरो के निमित्त जो भूले बिसरे है अज्ञात है जिनकी जानकारी नही है उन सभी के निमित्त भी जल से तर्पण कर कृतार्थ हो कुछ श्वेत रंग के पुष्प भी उपयोग कर सकते है।
इसी प्रकार से जल व जौ मिलाकर अपने गोत्र के ऋषि मुनियों को ओर अक्षत से अपने कुल देवता को पूर्व व उत्तर दिशा में तर्पण कर सकते है।
जो परंपरा अनुसार आपके कुल में विधान किया जाता है उसे जरूर करे। ये श्राद्ध कर्म श्रद्धा से जुड़ा है पूर्वजो के प्रति प्रेम व स्नेह से जुड़ा है। ये कार्य पूर्वजो की तिथि पर भी कर सकते है और चाहे तो अमावश तक नित्य कर सकते है आपको लाभ ही मिलेगा। तर्पण करते समय जो अभी जीवित है उनका अनुशरण नही करना है जैसे यदि नाना नानी आदि है तो उनकी सेवा करें ये ध्यान रखे।
डॉ अशोक श्रीश्रीमाल