1. श्राद्ध का पहला अधिकार पिता या माता के बड़े बेटे का होता है।
2. अगर वह नहीं है तो छोटा बेटा श्राद्ध करता है।
3. सभी भाई अलग-अलग रहते हैं तो सभी को अलग-अलग पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।
4. पुत्र नहीं है तो पौत्र या प्रपौत्र श्राद्ध कर सकते हैं।
5. पुत्र ना होने पर भाई श्राद्ध कर सकता है।
6. किसी पुरुष की शादी नहीं हुई है तो ऐसी स्थिति में उसका श्राद्ध मां या बहन कर सकती हैं।
7. यदि बेटा नहीं है तो बेटे की पत्नी श्राद्ध कर सकती है।
8. बेटे के अलावा पोता और परपोता भी अपने मृत दादा-दादी, परदादी का श्राद्ध कर सकते हैं।
9. अगर वो नहीं है तो भाई-भतीजे या उनका बेटा भी श्राद्ध कर्म कर सकता है।
10. बेटी के पुत्र को भी श्राद्ध का अधिकार होता है।
11. मातृकुल के पितरों का श्राद्ध भी पुत्रों को करना चाहिए।
12. विधवा स्त्री के कुल में अगर कोई न हो तो वह भी पितरों का श्राद्ध करा सकती है।