मकान यह एक ऐसा सुख है जो किस्मत से ही मिलता है क्योंकि मकान हर इंसान नही बना सकता।खुद का मकान बनाने के लिए सबसे पहले जरूरी है आर्थिक स्थिति का अच्छा होना या इतना रुपये-पैसा होना की जातक एक जीवन यापन के लिए खुद का मकान बना सकते।आज इसी विषय पर बात करेंगे स्वयम का मकान बनेगा या किराए का मकान में ही रहना पड़ेगा और स्वयं का मकान बनेगा तो किस स्तर का बन पाएगा बड़ा या छोटा या सामान्य आदि,अब इसी विषय पर बात करते है।। कुंडली का चौथा भाव, इस भाव का स्वामी और शनि मंगल यह मकान सुख के मुख्य कारक ग्रह है।जब चौथा भाव बलवान होता है, इस भाव का स्वामी बलवान और शुभ भाव पतियों जैसे दूसरे, पाचवे, सातवे, नवे, दसवे, ग्यारहवे भाव या इन भावो के स्वामियों से इन्ही किसी शुभ भावों में संबंध होगा और शनि मंगल बलवान होंगे तब अपने मकान का सुख जरूर मिलता है और खुद का मकान बनता है, मंगल का प्रभाव चोथे भाव, इस भाव के स्वामी से संबंध मे होने पर मकान बनने के योग काफी मजबूत हो जाते है, चौथे भाव और इस भाव का स्वामी बलवान होकर जितना शुभ भाव भाव के स्वामी जिसमे 2,5,7,9,10,11वे भाव या इनके स्वामियों से संबंध में होगा स्थिति मकान की उतनी अच्छी रहेगी।अब यह शुभ स्थितियां होने पर चोथे भाव की साथ ही चौथे भाव पर या इसके स्वामी पर शुक्र बुध मंगल का प्रभाव आलीशान मकान का सुख देता मतलब अच्छा और बढ़िया मकान बनता है, लेकिन शनि राहु केतु का प्रभाव होंगा तब सामान्य स्तर का मकान बनेगा।। #उदाहरण_अनुसार:- किसी जातक की मेष लग्न की कुंडली बने तब, यहाँ चोथे भाव का स्वामी चन्द्र होगा, अब केवल यहाँ चन्द्र लग्नेश मंगल और दूसरे/सातवे भाव के स्वामी शुक्र, इन दोनों से सबंध बनाकर किसी शुभ भाव मे बेठे जैसे नवे भाव मे बैठे तब ऐसा जातक को अच्छे और सुंदर मकान का अपने मकान का सुख मिलता है, क्योंकि चौथा भाव मकान का है, दूसरा भाव धन आदि तो लग्न जातक खुद होता है तब ऐसी स्थिति में लग्नेश मंगल द्वितीयेश शुक्र (धन स्वामी) और चतुर्थ भाव(मकान भाव) अपने मकान का आपस मे संबंध मकान का अच्छा सुख देगा।। #एक_से_ज्यादा_मकान_सुख
कभी-कभी एक से ज्यादा मकान का सुख या जमीन जायदाद का सुख मिलता है तब ऐसी स्थिति में ग्यारहवा भाव काफी अच्छा होता है चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव के स्वामी का किसी न किसी तरह से ग्यारहवे भाव से बलवान संबंध एक से ज्यादा मकान सुख देता है जैसे;- #उदारहण:- वृष लग्न की कुंडली बने तब यहाँ चोथे भाव का स्वामी सूर्य और ग्यारहवे भाव का स्वामी गुरु बनेगा अब यहाँ सूर्य गुरु और साथ मे मंगल यह तीनों ग्रह एक साथ संबंध बनाकर बेठना किसी शुभ भाव मे तब एक से ज्यादा मकान का सुख रहता है यह संबंध बलवान और शुभ भाव मे होना जरूरी है। #किराए_का_मकान_में_रहना
किराए के मकान के लिए चौथे भाव की कुछ कमजोर स्थिति और कही न कही छठे, आठवे भाव या इनके स्वामियों से संबंध होना, चौथे भाव भावेश का बलि होकर,मकान योग बनाकर पाप या अशुभ ग्रहों से पीड़ित होना किराए के मकान में जीवन ज्यादा व्ययतीत होता है, जैसे; #उदाहरण_अनुसार:- तुला लग्न कुंडली मे चोथे भाव का स्वामी शनि होता है अब शनि छ्ठे भाव मे, छठे भाव के स्वामी गुरु के साथ बैठा हो, तुला लग्न में 6वे भाव का स्वामी गुरु होता है, तब यहाँ छठे भाव मे चतुर्थेश शनि का संबंध किराए के मकान पर रहने के लिए मजबूर करेगा, यदि किसी पाप ग्रह जैसे राहु केतु की दृष्टि भी चौथे भाव या शनि गुरु पर जो छठे भाव मे है तब जीवन बहुत लंबे समय तक किराए के मकान पर ही बीतेगा।। अब ऐसी स्थिति में चोथे भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव भी आ जाये जैसे शुक्र बुध बैठ जाये या इनकी दृष्टि चौथे भाव पर आ जायेगा तब खुद का मकान जरूर बन जायेगा, इसमे दूसरे और ग्यारहवे भाव के स्वामियों के प्रभाव चौथे भाव पर बहुत अच्छा रहता है।। इस तरह से अन्य कई स्थितियां ओर भी होती है अपने या किराए के मकान के लिए जिम्मेदार, साथ ही अपना मकान बनेगा या नही आदि।यदि कुंडली मे जातक या जातिका के मकान योग है तब चोथे भाव संबंध दशाएं आने पर जरूर बन जाता है।।