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हर्निया (Hernia) के ज्योतिष अनुसार कारण और उपाय


ज्योतिष विज्ञानं के अनुसार काल पुरुष की कुंडली में आंत का संबंध षष्ठ भाव और कन्या राशि से है। कन्या राशि का स्वामी बुध होता है और षष्ठ भाव का कारक ग्रह मंगल होता है। इसलिए षष्ठ भाव, षष्ठेश, षष्ठकारक मंगल, बुध, लग्न-लग्नेश जब दुष्प्रभावों में रहते हैं, तो आंतों से संबंधित रोग होते हैं, जिनमें हर्निया रोग भी शामिल है। 

मानव शरीर के कुछ अंग शरीर के अंदर खोखले स्थानों में स्थित है। इन खोखले स्थानों कोमानव शरीर के कुछ अंग शरीर के अंदर खोखले स्थानों में स्थित है। इन खोखले स्थानों कोदेहगुहा" (body cavity) कहते हैं। देहगुहा चमड़े की झिल्ली से ढकी रहती है। इन गुहाओं की झिल्लियाँ कभी-कभी फट जाती हैं और अंग का कुछ भाग बाहर निकल आता है। ऐसी विकृति को हर्निया (Hernia) कहते हैं।"देहगुहा" (body cavity) कहते हैं। देहगुहा चमड़े की झिल्ली से ढकी रहती है। इन गुहाओं की झिल्लियाँ कभी-कभी फट जाती हैं और अंग का कुछ भाग बाहर निकल आता है। ऐसी विकृति को हर्निया (Hernia) कहते हैं।

ऐसा उपर्युक्त भाव, राशि एवं ग्रहों के दुष्प्रभाव और निर्बलता के कारण होता है। जब इन ग्रहों की दशा-अंर्तदशा रहती है और संबंधित ग्रह का गोचर विपरीत रहता है, तो हर्निया, अर्थात ‘आंत का उतरना’ रोग होता है।

हर्निया का उपाय :- 
* गरम पानी सेवन 
* हर्निया राहत योगासन
* सेब का सिरका 
* दालचीनी सेवन जरुरी 
*  कैमोमाइल चाय नवीनतम 
* बेकिंग सोडा से अति लाभ 
*  एलो वेरा जूस भी लाभकारी 
* डॉक्टर और ऑपरेशन 
" आप सुखी रहे धनधान्य आरोग्य पाये मेरी कामना “