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पितरों का तर्पण करते समय अंगूठे के माध्यम से ही जल जमीन पर क्यों छोड़ा जाता है

 *पितरों का तर्पण करते समय अंगूठे के माध्यम से ही जल जमीन पर क्यों छोड़ा जाता है*


हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष को बहुत ही पवित्र समय माना गया है। इस समय पितर पक्ष की शुरूआत हो चुकी है। श्राद्ध पक्ष से कई परंपराएं भी जुड़ी हैं। लेकिन इन परंपराओं के पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते हैं।


 आज आपको श्राद्ध से जुड़ी एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बता रहे हैं, जो हम बचपन से देखते आ रहे हैं, लेकिन उसके पीछे का कारण से अनजान हैं। 

वो परंपरा है तर्पण करते समय अंगूठे के माध्यम से जल जमीन पर छोड़ना।

इसलिए तर्पण करते समय अंगूठे से छोड़ते हैं जल:-

 श्राद्ध कर्म करते समय पितरों का तर्पण भी किया जाता है यानी पिंडों पर अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसके पीछे का कारण हस्तरेखा से जुड़ा है। 

हस्तरेखा के अनुसार, पंजे के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है। इस प्रकार अंगूठे से चढ़ाया जल पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक जाता है।

 ऐसी मान्यता है कि पितृ तीर्थ से होता हुआ जल जब अंगूठे के माध्यम से पिंडों तक पहुंचता है तो पितरों की पूर्ण तृप्ति का अनुभव होता है। यही कारण है कि हमारे विद्वान पूर्वजों ने पितरों का तर्पण करते समय अंगूठे के माध्यम से जल देने की परंपरा बनाई है।